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Desi Kahani

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गरीब लड़का की कहानी शीर्षक: "गांव की कथा: एक देशी कहानी" नमस्ते दोस्तों, आज मैं आपके सामने एक देशी कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। यह कहानी हमारे देश के एक छोटे से गांव की है, जहां सदियों से रहने वाले लोगों की एक अद्वितीय जीवन शैली है। इस कहानी के माध्यम से हम एक प्रकार से हमारे रूरल संस्कृति को जानने का अवसर पाएंगे। यह कहानी एक गांव के एक गरीब किसान के बारे में है जिसका नाम रामचंद्र है। रामचंद्र एक सीधा-साधा आदमी था जो हमेशा खेती में लगा रहता था। उसके पास एक छोटी सी जमीन थी जहां वह अपना दिन बिताता था। वह अपनी पत्नी सीता और दो बच्चों के साथ रहता था। रामचंद्र के पास केवल कुछ बघीचे ही थे जिनमें वह सब्जियां उगाता था और बची हुई सब्जियां वह बाजार में बेचता था। इस तरह उसे अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए हर दिन मेहनत करनी पड़ती थी। एक दिन, जब रामचंद्र अपनी सब्जियां बेचने गया, तो उसने एक युवक को देखा जो उसके सामने रुका था। युवक ने कहा, "भैया, मैं आपकी सब्जियां खरीदना चाहता हूँ।" रामचंद्र ने धन्यवाद कहते हुए सब्जियों का मोल बताया और उसे बेच दिया। इस पहले कभी भी

Laut aaya aatmavishvasvasas-

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"Laut aaya aatmavishvas" "लौट आया आत्मविश्वास" यह एक कहानी है एक आदमी के बारे में जिसका नाम विजय था। विजय एक आम आदमी था जो अपने जीवन में कई मुश्किलों से गुजर रहा था। उसे नौकरी में समस्याएं थीं, परिवार के मामलों में उसे तनाव था और उसका आत्मविश्वास बहुत कमजोर हो गया था। वह हर रोज़ निराश हो जाता था और अपने असफलताओं के कारण खुद को नाकाम मानता था। एक दिन, विजय एक पुराने मित्र से मिलने के लिए गाँव जा रहा था। उसका मित्र उसे एक बड़े आध्यात्मिक गुरु के पास ले गया जिसका नाम सचिनाथ था। विजय उम्मीद के साथ उस आध्यात्मिक गुरु के पास गया, उम्मीद करते हुए कि शायद उसकी समस्याओं का समाधान मिल सके। विजय ने गुरु से अपनी तकलीफें साझा कीं और उसने अपने आत्मविश्वास के बारे में भी बताया। गुरु ने उसे धीरे-धीरे सुना, और फिर कहा, "विजय, तुम्हारी समस्याओं का समाधान सिर्फ तुम्हारे अंदर है। तुम्हारा आत्मविश्वास तभी मजबूत होगा जब तुम खुद को और अपनी क्षमताओं को समझोगे।" गुरु ने विजय को ध्यान देने को कहा और उसे मार्गदर्शन दिया कि कैसे वह अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों को जागृत कर सकता है

Tapakane ka darr:- टपकने का डर

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 Tapakane ka dar:- टपकने का डर किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी घर में छोटे-बड़े कई सदस्य थे उसका बेटा और पोते उसका बड़ा ख्याल रखते थे उसका सबसे छोटा पोता उसके पास ही सोता था और सोते समय दादी से कहानियां सुनता दादी उसे खूब सारी कहानियां सुनाती एक था राजा एक थी रानी उनकी एक छोटी सी राजकुमारी भी थी परी जैसी प्यारी कहानी आगे बढ़ती इससे पहले ही वह सो जाता उस वक्त वहां बारिश बहुत हुई इतनी हुई कि बंद होने का नाम ना लेती अच्छे-अच्छे मकानों की छत टपकने लगी फिर बेचारी उस बुढ़िया की टूटी फूटी तक की क्या बिसात पानी की बूंदे हर जगह तब तक टपक रही थी दादी ने पोते को उस और सुला दिया जहां पानी नहीं टपक रहा था लेकिन पोते की नींद नहीं आ रही थी पानी अभी भी बरस रहा था चारों ओर अंधेरा था  घोर अंधकार दादी मुझे तो बड़ा डर लग रहा है सब तरफ अंधेरा ही अंधेरा है आपको डर नहीं लगता पोते ने पूछा और डर काहे का देख मुझे किसी से डर नहीं लगता अगर लगता है तो सबसे बड़ा डर तबके का है दादी ने पोते की हिम्मत बंधाई उस दिन एक शेर आंधी पानी से घबराकर बुढ़िया के अंधेरे घर में 8 छिपा था गुड़िया की बात सेल ने सुनी तो एक बात सोचने

Pure ek hazar:- पूरे एक हजार

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 Pure ek hazar:- पूरे एक हजार म***** नसीरुद्दीन रोज सुबह अपने आंगन में प्रार्थना करता था और चिल्लाकर कहता था या अल्लाह मुझे 1000 दिनार दे हजार यानी हजार एक कम एक ज्यादा 999 भी देगा तो मैं उसे हाथ तक नहीं लगाऊंगा सुन लेना मुला की प्रार्थना उसके पड़ोसी रहीम चाचा रोज सुनते थे उन्होंने सोचा देखें मुल्लाह सच कह रहा है या झूठ एक दिन मुल्लाह प्रार्थना कर रहा था कि रहीम चाचा ने एक थैली में 999 दिनार डालकर मुला के आगे फेंक दी और छुपकर देखने लगे कि अब मुल्लाह क्या करता है मुला ने प्रार्थना के बाद आंखें खोली तो सामने थैली पड़ी पाई इधर उधर देखा कोई नहीं उसने हाथ उठाकर खुशी से अल्लाह का शुक्रिया अदा किया फिर खोलकर सिक्के गिने तो 999 निकले तो आखिर तूने 999 ही दिए कह कर म***** ने थैली उठाई और घर में रख दी 2 दिन हुए 4 दिन हुए अब मूल्य ना तो पहले की तरह प्रार्थना करता नो थैली बाहर निकालता रहीम चाचा से रहा नहीं गया म***** के पास गए और बोले क्या बात है आजकल प्रार्थना बंद है मुल्लाह ने कहा पता नहीं कौन कमबख्त मेरे आगे 999 दिनार वाली थैली थक गया अल्लाह तो गणित में इतना कच्चा हो नहीं सकता वह थैली भी मेरी है

Buddhiman Raja:- बुद्धिमान राजा

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 Buddhiman Raja:- बुद्धिमान राजा सैकड़ों वर्ष पुरानी बात है चीन में एक निर्दई राजा राज्य करता था वह अपनी प्रजा पर तरह तरह के अत्याचार करता था उसके महामंत्री ने उसे राज्य को बढ़ाने की सलाह दी महामंत्री की सलाह उसे ठीक लगी उसने सेना में सैनिकों की भर्ती प्रारंभ कर दी कुछ ही समय में उसके पास विशाल सेना इकट्ठी हो गई उसने सेना को आसपास के पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करने का आदेश दिया बिना और हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी राजाओं ने बिना लड़े ही हार मान ली उन्होंने विजई राजा को धन और सैनिक उपहार में दिए एक पराजित राजा ने उसे हम भारत के कलिंग पर देश की समृद्धि के विषय में बताया उसने अपनी सेना को भारत की ओर कूच करने का आदेश दिया उसकी सेना नदी नाले समुद्र पार करती छोटे बड़े राज्यों को रौंदकर हुई आज के सिंगापुर तक पहुंच गई उसने वहां पढ़ा डाला वहां नौकाओं जहाजों तथा वस्तुओं का निर्माण शुरू कर दिया भारत के कलिंग प्रदेश के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए उसने चारों दिशाओं में दूत भेज दिए कलिंग के राजा को भी इस आक्रमण के बारे में जानकारी मिली उसके पास प्रशिक्षित सेना थी अच्छी सैन्य सामग्री थी इसके बा

Haar ki jeet:- हार की जीत

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 Haar ki meet:- हार की जीत गांव के बाहर के मंदिर में बाबा भारती नाम के एक साधु रहते थे उनके पास एक बढ़िया घोड़ा था जिसे वे सुल्तान कहते थे वैसा घोड़ा आसपास के किसी गांव में ना था बाबा भारती अपने हाथ से सुल्तान को दाना खिलाते थे जब तक शाम को बाबा सुल्तान पर 810 मिल का चक्कर ना लगा लेते उन्हें चैन ना आता इस इलाके में खड़क सिंह नाम का एक डाकू था लोग उसके नाम से कांपते थे खड़क सिंह ने भी सुल्तान के बारे में सुना एक दिन वह बाबा भारती के पास पहुंचा बाबा ने पूछा कहो खड़क सिंह क्या हाल है खड़क सिंह ने उत्तर दिया मैं बिल्कुल ठीक हूं बाबा ने पूछा कहो मेरे पास कैसे आए खड़क सिंह ने कहा आप के घोड़े सुल्तान की बहुत प्रशंसा सुनी थी इसीलिए देखने चला आया उसकी चाल तुम्हारा मन मोह लेगी कहते हैं देखने में भी बड़ा सुंदर है  बाबा भारती उसे अस्तबल में ले गए बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से खड़क सिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से ऐसा बांका घोड़ा उसने कभी ना देखा था बाल को किसी अधीरता से बोला बाबा जी इसकी चाल ना देखी तो क्या बाबा जी भी मनुष्य ही थे अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो उठ

RajivKamal kahaniya Patile ki mrityu:- पतीले की मृत्यु

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 पतीले की मृत्यु:-Patile ki mrityu अकबर के राज्य में एक बर्तनों का व्यापारी था वह बहुत ही बेईमान था बादशाह उसकी शिकायतें सुनकर परेशान हो चुके थे बादशाह ने बीरबल से कहा कि तुम शीघ्र पता लगाओ कि वास्तव में या व्यापारी ठगी कर रहा है मामले की छानबीन करने पर बीरबल को पता चला कि वह व्यापारी वास्तव में बेईमान है बीरबल ने उसे सबक सिखाने का निश्चय कर लिया एक दिन बीरबल व्यापारी के पास गया और 3 दिन के लिए दो पतीले किराए पर ले आया जब बीरबल पतीले लौटाने गया तो एक छोटा पतीला और अपने साथ ले गया तीनों पतीले व्यापारी को देते हुए कहने लगा जनाब तुम्हारे दोनों पतीले ने एक छोटे पतीले को जन्म दिया है इसलिए तुम्हारा है आप इसे भी रख लीजिए व्यापारी लालची था उसने खुश होकर तीनों पतीले रख लिए कुछ दिन बाद व्यापारी के पास जाकर बीरबल एक बड़ा पतीला किराए पर ले आया बीरबल दो दिनों बाद व्यापारी के पास खाली हाथ चला गया बीरबल को खाली हाथ देखकर व्यापारी बोला पतीला कहां है जनाब आप के पतीले की मृत्यु हो गई बीरबल ने कहा क्या कह रहे हो पतीले भी कभी मरता है व्यापारी बोला बड़े ही शांत स्वभाव से बीरबल बोला जब बड़ा पतीला छोटे पतील

Kahaniya in hindi with moral - दो पहलवान की कहानी

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 Kahaniya in Hindi with moral - दो पहलवान की कहानी मुख्य जोर सिंह और धरती पटक सिंह दो नामी पहलवान थे धरती पटक सिंह ने अनेक जंगलों में बलशाली पहलवानों को हराकर उन्हें अनेक पुरस्कार जीते थे वह अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए घंटों व्यायाम करता है पौष्टिक भोजन और उनका भोजन सामान्य व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले भोजन से बहुत अधिक होता था उनका नाम सुनकर अच्छे-अच्छे बलशाली पहलवानों के होश उड़ जाते थे परंतु मुख्य जोर सिंह उनके नाम से बिल्कुल नहीं डरता था मुंह जोर सिंह को कभी किसी ने कुश्ती लड़ने नहीं देखा था इसके बावजूद उनकी प्रशंसा का डंका चारों ओर बज तथा धरती पटक सिंह के दिल में जोर सिंह को पटकने का बहुत बड़ा अरमान था जोर सिंह अक्सर कहता कि धरती पटक सिंह को उसने कई बार पटका है वह उनके नाम से ही डरता है उसकी डिंग और से की भरी बातें सुन सुन कर एक दिन धरती पटक सिंह कुश्ती लड़ने के लिए उसके घर की ओर चल पड़ा धरती पटक सिंह ने रास्ते में रुक कर एक ढाबे पर खाना खाया उस ढाब का सारा आटा और एक बार में खा गया फिर उसमें एक तालाब पर पानी पिया तलाब से बहुत कम पानी बचा पेट भरने के बाद उसने डकार ली और तालाब के

लालच का फल:-Lalach ka phal

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 लालच का फल:-Lalach ka phal एक आदमी बहुत लालची था वह धन पाने के लिए उचित अनुचित की परवाह नहीं करता था एक बार उसके घर एक साधु आया उसकी पत्नी ने साधु की खूब सेवा की साधु ने प्रसन्न होकर सेवा के बदले उन्हें एक मुर्गी दी जो प्रतिदिन सोने का अंडा देती थी लालची व्यक्ति सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ वह प्रतिदिन सोने के अंडे को बाजार जाकर बेच देता थोड़े ही दिनों में हुआ धनवान बन गया परंतु वह और भी धनवान बनने की सोचता रहता था 1 दिन उस लालची व्यक्ति को एक विचार सूझा उसने सोचा यह मुर्गी प्रतिदिन सोने का एक-एक अंडा देती है मुझे रोजाना एक अंडा लेकर बाजार जाना पड़ता है यदि मुझे सारे अंडे एक ही बार मिल जाए तो मैं संसार का सबसे धनवान व्यक्ति बन जाऊंगा उसने मुर्गी को पकड़ लिया और छोरी लेकर उसका पेट चीर डाला मुर्गी तुरंत मर गई परंतु यह क्या उसके पेट में तो एक भी अंडा नहीं था उसके हाथ ना तो अंडे ही लगे और ना ही मुर्गी मुर्गी नहीं रही तो अंडा कहां से आएगा वह अपनी करनी पर बहुत पछताया शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए -----------

चिड़िया का घोंसला:-Chidiya ka ghosala

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 चिड़िया का घोंसला:-Chidiya ka ghosala दोपहर का समय था सूर्य की तेज गर्मी से पृथ्वी का शरीर तक रहा था वृक्षों के पत्ते मुरझाए हुए थे मानो किसी और भयंकर कांड की आशंका से सांस ही साधे खड़े हैं इसी समय अपने छोटे से घोसले के भीतर बैठे हुए चातक पुत्र ने कहा पिताजी बाहर की सहज कोमल वनस्थली के वर्तमान रूखे पान की तरह ही वह स्वर कुछ निराश था चातक ने अपनी चोंच कुमार की पीठ पर फिरते हुए प्यार से कहा क्या है बेटा है और क्या प्यास के मारे चोट तक आ गए हैं बेटा अधीर ना हो समय सदा एक सा नहीं रहता है चातक ने कहा तब उसके पुत्र ने कहा तो यही तो मैं भी कहता हूं समय सदा एक सा नहीं रहता पुरानी बातें पुराने समय के लिए थी आप अब भी उन्हें इस तरह छाती से चिपकाए हुए हैं जिस तरह वानरी मरे हुए बच्चे को चिपकाए रहती है बरसात की बात आप जो ते रहिए अब मुझसे यह नहीं साध सकता बरसात के सिवा हम और किसी का जल ग्रहण नहीं करते यही हमारे कुल का व्रत है इस व्रत के कारण अपने गोत्र में ना तो किसी की मृत्यु हुई और ना कोई दूसरा अनर्थ आप कहते हैं कोई आना नहीं हुआ मैं कहता हूं प्यास की यंत्रणा से बढ़कर और क्या अनर्थ होगा जहां से भी

संतोष का फल:-Santosh ka phal

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 संतोष का फल:-Santosh ka phal अफ्रीका में अकाल पड़ गया लोग भूखों मरने लगे एक छोटे नगर में एक धनी दयालु पुरुष थे उन्होंने सभी छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक रोटी देने की घोषणा की दूसरे दिन सवेरे एक बगीचे में सब बच्चे इकट्ठे हुए उन्हें रोटियां बांटी जाने लगी रोटियां छोटी बड़ी थी सब बच्चे एक दूसरे को धक्का देकर बड़ी रोटी पाने का प्रयत्न कर रहे थे केवल एक छोटी लड़की एक और चुपचाप खड़ी थी वह सब के बाद आगे बड़ी टोकरी में सबसे छोटी अंतिम रोटी बची थी उसने उसे प्रसन्नता से ले लिया और घर चली आई दूसरे दिन फिर रोटियां बाटी गई उस बेचारी लड़की को आज भी सबसे छोटी रोटी मिली लड़की ने घर पहुंचकर जब रोटी थोड़ी तो रोटी में से सोने की एक मुहर निकली उसकी माता ने कहा मुहर उस धनी को दे आओ लड़की मोहर देने के लिए दौड़ी धनी ने उसे देखकर पूछा तुम क्यों आई हो लड़की ने कहा मेरी रोटी से यह मुहर निकली है आटे में गिर गई होगी देने आई हूं आप अपनी मुहर ले लीजिए धनी ने कहा नहीं बेटी यह तुम्हारे संतोष का पुरस्कार है लड़की ने सिर हिला कर कहां पर मेरे संतोष का फल तो मुझे मिल गया क्योंकि मुझे धक्के नहीं खाने पड़े धनी बहुत प्रसन्न

जैसा संग वैसा रंग:-Jaisa sang vaisa rang

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 जैसा संग वैसा रंग:-Jaisa sang vaisa rang बाजार में एक तोता बेचने वाला आया उसके पास दो पिंजरे थे दोनों में एक एक तोता था उसने एक तोते का मूल्य रखा था ₹500 और दूसरे का ₹5 वहां के राजा बाजार में आए तो थे वाले की पुकार सुनकर उन्होंने हाथी को रोककर पूछा इन दोनों के मूल्यों में इतना अंतर क्यों है तोते वाले ने उत्तर दिया आप इनको ले जाएंगे तो अपने आप पता लग जाएगा राजा ने दोनों तोते ले लिए जब रात में राजा सोने लगे तो उन्होंने कहा कि ₹500 वाले तोते का पिंजरा मेरे पलंग के पास टांग दिया जाए जैसे ही प्रातः 4:00 बजे तोते ने बोलना आरंभ कर दिया राम राम सीताराम तोते ने खूब सुंदर भजन गाए सुंदर श्लोक पढ़े राजा बहुत प्रसन्न हुए दूसरे दिन उन्होंने दूसरे तोते का पिंजरा पास रखवाया जैसे ही सवेरा हुआ उस तोते ने गंदी गंदी गालियां देनी आरंभ कर दी राजा को बड़ा क्रोध आया उन्होंने नौकर से कहा इस दुष्ट को मार डालो पहला तोता पास ही था उसने नम्रता से प्रार्थना की राजन इसे मत मारो यह मेरा सगा भाई है हम दोनों एक साथ जाल में फंसे थे मुझे एक संत ने ले लिया उनके यहां मैं भजन सीख गया इसे एक बदमाश ने ले लिया वहां इसने गाली

परिश्रम का फल:-Parisram ka phal

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 परिश्रम का फल:-Parishram ka phal एक बार मछुआरों का एक दल मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में गया मछुआरों ने मछली पकड़ने के लिए समुद्र के पानी में अपना जाल फेंका जब उन्होंने जाल बाहर खींचा तो वह खाली था ऐसा कई बार हुआ हर बार मछुआरों के जाल में कुछ नहीं फसा मछुआरे अपना धैर्य खोने लगे लेकिन उनके ब्रिज सरदार ने उन्हें लगातार प्रयास करते रहने की सलाह दी मछुआरों ने फिर कोशिश की लेकिन वे असफल रहे अब उन सबने थक हार कर मछली पकड़ना बंद कर दिया और निराश होकर बैठ गए तब उनका सरदार होला हमें कार्य को कभी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए हमें परिश्रम का फल अवश्य मिलेगा सरदार की यह बातें सुनकर एक बार फिर उन्होंने जाल फेंका और इस बार उनके जाल में कुछ फस गया वृद्ध सरदार बोला जाल को बाहर खींचो जब उन्होंने जाल को बाहर खींचा तो उसमें एक संदूक फंसा हुआ था उसे खोलने पर उन्होंने पाया कि वह सोने के सिक्कों से भरा हुआ था सरदार ने वर्धन सभी में बराबर बराबर बांट दिया यह देखकर सब समझ गए कि बार-बार प्रयत्न करने से ही सफलता मिलती है मनुष्य को कभी भी निराश नहीं होना चाहिए शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि निरंतर प

प्रिंसेज फूल कुमारी की कहानी-Princess Phul kumari ki kahani

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 प्रिंसेज फूल कमारी की कहानी:- Princess Phul Kumari ki kahani एक बहुत ही प्यारे प्रदेश के राजा की एक प्यारी सी बेटी थी उनकी बेटी पर ईश्वर की विशेष कृपा थी जब भी हंसती थी तो पूरा आसमान फूल पौधे चिड़िया सभी मुस्कुराने लगते थे उसकी खिलखिला हट से पूरे नगर में रौनक बनी रहती थी जब भी वह उदास होती थी तो चारों तरफ मायूसी छा जाती थी एक दिन वह किसी बात को लेकर बहुत दुखी थी और वह ऐसे ही दुखी रहने लगी जिसके कारण चारों तरफ मायूसी छा गई राजा बहुत परेशान और दुखी हो गए कि अब उनकी बेटी को कैसे हटाया जाए उन्होंने बहुत प्रयास किया कि उनकी बेटी खुश हो जाए पर ऐसा वह कर ना सके तब उन्होंने पूरे नगर में यह ऐलान कर दिया कि जो भी उनकी पुत्री को हंसाने में कामयाब होगा उससे वह अपनी पुत्री की शादी करा देंगे यह घोषणा सुनकर बहुत सारे लोगों ने कोशिश की पर कोई भी राजकुमारी को हंसाना सका जब राजा मायूस हो गए तभी उनके दरवाजे पर एक अजीब सा इंसान आया जिसने बहुत ही अजीबोगरीब पुलिया बना रखा था और वह बकरे पर बैठकर आया था जिसे देखकर सभी लोग हंसने लगे उसने कहा कि वह राजकुमारी को जरूर हस आएगा राजा ने उसकी बात मान ले सभा लगाई गई

साधु और बिच्छू की कहानी -Sadhu aur Bichhu ki kahani

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 एक साधु नदी में स्नान करने गए थे उनके साथ उनका एक शिष्य भी था नदी में स्नान करते वक्त साधु को धारा में एक बिच्छू बहता हुआ नजर आया जोकि अपने जीवन के लिए नदी में संघर्ष कर रहा था महात्मा ने उसे डूबते हुए देखा तो अपने स्वभाव के अनुसार वे उसे बचाने के लिए चले गए उन्होंने जैसे ही बिच्छू को बचाने के लिए अपनी हथेली नीचे लगाई तो बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया वह दर्द से तड़प उठे और उनका हाथ छूट गया इस तरह बिच्छू पुनः जल में फिर से गिर गया पर फिर भी महात्मा ने हार नहीं मानी वह बार-बार प्रयास करते रहे और बिच्छू उन्हें बार-बार डंक मारता रहा महात्मा ने सोचा कि ऐसे वह बिच्छू को नहीं बचा पाएंगे इसलिए उन्होंने आखिरी में बिच्छू को एक ही झटके में निकाल कर बाहर किनारे पर फेंक दिया वह जानते थे कि पानी से बाहर निकलने के बाद बिच्छू अपना ख्याल खुद रख लेगा उनका यह सब प्रक्रम उनका शिष्य देख रहा था टीचर ने महात्मा से पूछा कि जब वह बिच्छू आपको बार-बार डंक मार रहा था तो आपने उसे बचाने की कोशिश क्योंकि आप उसे छोड़ भी तो सकते थे तब महात्मा ने मुस्कुराते हुए अपने शिष्य को समझाया बिच्छू का प्रवृत्ति डंक मारना है और

किसान और जौहरी -Kisan aur jauhari https;//rajivkamal205.blogspot.com

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 किसान और जौहरी :-Kisan aur jauhari एक किसान शहर से बैलगाड़ी में खाद ला रहा था रास्ते में उसे एक चमकदार पत्थर पड़ा मिला उसने उसे उठाकर एक बैल के गले में बांध दिया कुछ दूर जाने पर एक जौहरी ने उसे देखा वह घोड़े से कहीं जा रहा था उसने सोचा बड़ा मूर्ख है जिसने इतना कीमती पत्थर बेल के गले में बांध दिया है उसने किसान से कहा तुम्हारे एक बैल के गले में यह पत्थर शोभा नहीं देता तुम यह हमें दे दो मैं इसे अपने घोड़े के गले में बांध लूंगा बोलो कितने में दोगे पत्थर किसान ने कहा एक रुपए में जौहरी ने सोचा यह मोर इस पत्थर के बारे में नहीं जानता यह थाने में भी दे देगा उसने किसान से 8 आने में देने के लिए कहा लेकिन किसान तैयार नहीं हुआ दोनों अपने अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए कुछ दूर जाने पर किसान को दूसरे जौहरी ने देखा उसने भी किसान से पत्थर बेचने के लिए कहा किसान ने सोचा यदि मैं डेढ़ रुपया कहूंगा तो या पत्थर को एक रुपए में अवश्य ही ले लेगा इसलिए उसने डेढ़ रुपए में पत्थर देने की बात कही जोहरी ने सोचा यह हीरा है तथा रुपए में महंगा नहीं है यह सोचकर उसने डेढ़ रपए में पत्थर खरीद लिया कुछ दूर जाने पर पहले जौहरी न

घमंडी शिष्य - Ghamandi shishya https;//rajivkamal205.blogspot.com

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 घमंडी शिष्य - Ghamandi shishya सिंधु नदी के तट पर सौम्य देव नामक एक ऋषि रहते थे वह बहुत ही सौम्य थे उनके आश्रम में अन्य शिष्यों में दो बहुत प्रतिभावान और * शिष्य भी थे अनेक वर्षों की कड़ी साधना के बाद दोनों अपने अपने विषय के विद्वान बन गए विद्वता के मध्य में धीरे-धीरे दोनों को बेहद घमंडी एवं चालू बना दिया अब वे आश्रम का काम भी मिलजुलकर करना पसंद नही करते थे एक दिन जब ऋषि स्नान करके लौटे तो वह दोनों शिष्य आपस में झगड़ रहे थे ऋषि के पूछने पर दोनों अपने अपने गुणों का बखान कर स्वयं को श्रेष्ठ बता रहे थे झगड़ा बढ़ते देख सौम्या ऋषि सहायता से बोले तुम दोनों ठीक कह रहे हो अब तुम दोनों इतने विद्वान और श्रेष्ठ हो गए हो की सफाई जैसा छोटा काम तुम्हें शोभा नहीं देता आज से सफाई का काम मैं स्वयं करूंगा यह कह कर जैसे ही वे झाड़ू उठाने लगे वैसे ही दोनों ने उनके हाथ से झाड़ू ले ली और अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगे शिक्षा:- अपने ज्ञान पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए Rajiv Kamal.com

Sher Ki Vijay Yojana

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Sher Ki Vijay Yojana शेर की विजय योजना एक समय की बात है, जब जंगल का राजा शेर अपने राज्य में सुख-शांति से बास कर रहा था। वह बहुत बुद्धिमान, शक्तिशाली और साहसी था। जंगल के सभी जानवर उसे सम्मानपूर्वक देखते थे। एक दिन, उसे अपने प्रजा की तालियों की ध्वनि सुनाई दी। शेर ने अपनी सेना के साथ रास्ता प्राप्त किया और देखा कि एक दूसरा शेर उसके राज्य में प्रवेश कर रहा है। यह दूसरा शेर बहुत बड़ा और विकट था। वह शेरों के बीच अपना राज्य स्थापित करने के इरादे से आया था। दूसरे शेर के आने की खबर शेर के सबके कान में गई और सभी जानवर डर गए। वे उनसे अपनी सुरक्षा की गुजारिश करने लगे, परंतु शेर ने कहा, "मेरे पास जितनी शक्ति है, उतनी तुम सबके पास है। हम एक साथ काम करेंगे और इस दूसरे शेर को बाहर निकालेंगे।" शेर और उसकी सेना ने एक योजना बनाई और दूसरे शेर के सामरिक और जीवनी लक्ष्यों के बारे में जानकारी जुटाई। शेर की सेना ने अपने बलवान और आपूर्ति को संगठित किया और जंगल के एक खुदाई बिंदु पर चढ़कर खुदाई की। शेर ने खुदाई करके एक बड़े पत्थर को तैयार किया और उसे विस्फोटक मद से भर दिया। जब दूसरा शेर उनके पास पहु

अकल की दुकान

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एक था रौनक जैसा नाम वैसा रूप अक्ल भी उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था एक दिन उसने घर के बाहर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा यहां अकल बिकती है उसका घर बीच बाजार में था हर आने जाने वाला वहां से जरूर गुजरता था हर कोई बोर्ड देखता हंसना और आगे बढ़ जाता रौनक को विश्वास था कि उसकी दुकान एक दिन जरूर चलेगी एक दिन एक अमीर महाजन का बेटा वहां से गुजरा दुकान देख कर उसे रहा नहीं गया उसने अंदर जाकर रौनक से पूछा यहां कैसी अकल मिलती है और उसकी कीमत क्या है उसने कहा यह इस बात पर निर्भर करता है कि तुम इस पर कितना पैसा खर्च कर सकते हो गंपू ने जेब से ₹1 निकालकर पूछा इस रुपए के बदले कौन सी अकल मिलेगी और कितनी भाई ₹1 की अकल से तुम ₹100000 बचा सकते हो गंपू ने ₹1 दिया बदले में रौनक ने एक कागज पर लिखकर दिया जहां दो आदमी लड़ झगड़ रहे हो वहां खड़े रहना बेवकूफी है गंपू घर पहुंचा और उसने अपने पिता को कागज दिखाया कंजूस पिता ने कागज पड़ा तो वह गुस्से से आगबबूला हो गया गंपू को कोसते हुए वह पहुंचा अकल की दुकान कागज की पर्ची रौनक के सामने फेंकते हुए चिल्लाया वह रुपया लौटा दो जो मेरे बेटे ने तुम्हें दिया था रौनक ने कहा ठीक ह

गुरु और शिष्य की कहानी

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 एक जंगल में एक साधु महात्मा रहा करते थे उनकी ख्याति दूर-दूर तक कई राज्यों में फैली हुई थी लोग उनके ज्ञान और समझदारी की वजह से उन से प्रभावित होकर बहुत दूर-दूर से उन्हें खोजते हुए इस जंगल में आ जाया करते थे 1 दिन दो युवक इन महात्मा की खोज में इस जंगल में आ पहुंचे जहां एक बड़े ही सुंदर रमणीय स्थल पर महात्मा अपना गुरुकुल बनाकर रखा करते थे वह दोनों ही इन महात्मा को अपना गुरु स्वीकार कर उन से शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे महात्मा कई युवकों को शिक्षा दे चुके थे लेकिन वे किसी भी युवक को शिक्षा देने से पहले उसकी कसौटी किया करते थे इन दोनों युवकों को महात्मा ने देखा तो वह उन्हें अच्छे घर से लगे और उनकी परीक्षा लेने की महात्मा ने टाइप किया महात्मा ने दोनों युवकों से कहा कि मैं तुम्हें अपना शिष्य जरूर बना लूंगा लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरी एक शर्त पूरी करनी पड़ेगी युवकों ने महात्मा से कहा कि आप जो भी कहेंगे हमें माने हैं महात्मा ने गुरुकुल के कमरे में रखी दो कबूतरों की मूर्तियां लाकर दोनों युवकों को एक-एक थम आते हुए कहा इन कबूतरों की मूर्तियों को तुम जीवित कबूतर ही मानो और तुम्हें यह करना है कि जब