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Sengol ki kahani

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  Sengol ki kahani प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को देश के नए सांसद भवन का उद्घाटन करेंगे इस दौरान पीएम मोदी तमिलनाडु के विद्वान संगोल सौंपेंगे जिसे प्रधानमंत्री ने संसद भवन के अंदर स्पीकर की सीट के पास स्थापित करेंगे इस संगोल का इतिहास देश की आजादी से जुड़ा है 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो संगोल को पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था  वजन 800 ग्राम ऊंचाई 5 फीट और शीर्ष पर नंदी विराजमान हैं ऐतिहासिक राजदंड यानी सैंगोल एक तमिल शब्द समय से आया है जिसका अर्थ धार्मिकता है इसका वजन 800 ग्राम है और इस पर सोना चढ़ाया गया है इसकी ऊंचाई 5 फीट है और इसके ऊपर भगवान शिव की नंदी विराजमान है जो न्याय का प्रतीक है आजादी के वक्त नेहरू को सौंपा गया था 15 अगस्त 1947 को जब अंग्रेजों ने अपनी सत्ता हस्तांतरित की तो सैंगोल को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था इसके अस्तित्व में आने की कहानी भी दिलचस्प है ब्रिटिश भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि जब देश को अंग्रेजों से आजादी मिलेगी तो इसके लिए क्या चीज दिया जाए जो हमेशा याद किया जाए नेह