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एक अनार - Ek Aanar

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एक गाँव में एक बहुत ही अनोखा आदमी रहता था। वह अनभिज्ञता में माहू था और हर वक्त किसी चीज को लेकर अपने अनोखे मजाक और कहानियों के जरिए लोगों को हंसाने में लगा रहता था। उसका नाम रामू था. रामू का विशेष ध्यान एक अनार के पेड़ पर था। उस पेड़ पर हर साल एक अनार की बहुत सारी फलियां आती रहती हैं। इसलिए, लोग उस पेड़ को बहुत महत्वपूर्ण बताते हैं और उसका ध्यान रखते हैं। लेकिन रामू उस पेड़ को देखकर हमेशा हंसता रहता था। एक दिन, गाँव के लोग इकट्ठे हो गए और रामू के पास आ गए और बोले, "रामू, तुम हमेशा इस पेड़ को देखकर क्यों हंसते हो? इसमें क्या खास है?" रामू ने चुलबुलाहट को देखा और कहा, "हाँ, इस पेड़ को देखो! यह एक अनार का पेड़ है, लेकिन इसके फल में एक खास ताकत है।" लोगों ने कहा, "रामू कौन है?" रामू ने कहा, "इस पेड़ का एक अनार खा लेने से मनुष्य का आयुवर्धक प्रभाव पड़ता है।" लोग हंसने लगे और देखने लगे, "क्या तुमने लिखा हो, रामू?" रामू ने नाचते हुए कहा, "हां, बिल्कुल सच। आप खुद ही देख लीजिए, जब आपको एक अनार्य खाने का मौका मिलेगा, तो आप प्यारे और

तंदुरुस्ती का राज -Tandurusti ka raaz https;//rajivkamal205.blogspot.com

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 तंदुरुस्ती का राज- Tandurusti ka raaz हुजूर अलग नाम से फेमस है राजधानी में जहां और जब चाहे मांग देते हैं नक्शा और हिसाब के भी पूरे पक्के हैं कहते भी हैं कि ऐसे ही नहीं बनाया है माहौल तंदुरुस्ती का राज भी यही है किसी ने कह दिया कि है कि आप अलग मटेरियल हैं अब राजधानी वाली असली कुर्सी संभालिए बस यह सुनना था कि हुजूर हो गए हैं रेस कार इंदु को लगा दिया है काम में अब तो झुग्गी झोपड़ी का भी हिसाब किताब कर रहे हैं बेशक जमाने भर की कब्जियत पेट सफा से दूर होती हो लेकिन साहब है पक्के गांधीवादी बगैर न्योछावर लिए इधर-उधर हिलते भी नहीं अब एक ही तमन्ना है कि मिल जाए कुर्सी तो दिखा देंगे अपनी चाल बस कूपन कटाने भर कागज का जुगाड़ हो जाए   Rajiv Kamal. Com

मंत्री जी की पीड़ा-Mantri jee ki pida https;//rajivkamal205.blogspot.com

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 मंत्री जी की पीड़ा -Mantri jee ki pida मंत्री और विभागीय सेक्रेटरी के बीच का साथ तो जब तक सूरज चांद रहेगा टाइप का है दोनों एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते लेकिन इस साहब को पीड़ा कुछ और ही है हेल्थ डिपार्टमेंट में रहे और अपनी सेहत के साथ कभी भी समझौता नहीं किया जब तक चाहा कंबल ओढ़ कर पीते रहेगी नौतन पर चर्बी चढ़ी ना सामने वाले की ही नजर में चढ़े लेकिन विभाग छूटने की पीड़ा बार-बार छलक कर जुबान पर आ ही जाती है कोई भी मिलना है तो उलाहना देना नहीं भूलते की हाकिम ने कभी विभाग के कामकाज के बारे में नहीं पूछा लेकिन अपना काम टेंडर और ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं करने का ताना देते थे अक्सर दुहाई भी देते थे कि हम तो पॉलिटिकल लोग ठहरे काम नहीं किया तो लाल बत्ती का क्या फायदा अब मिलने वाला भी साहब को तसल्ली देकर निकलता है कि जैसे सबके अच्छे दिन आए वैसे आपके भी आएंगे बस हिम्मत बनाए रखिए मंत्री जी Rajiv Kamal.Com