घमंडी शिष्य - Ghamandi shishya https;//rajivkamal205.blogspot.com
घमंडी शिष्य - Ghamandi shishya
सिंधु नदी के तट पर सौम्य देव नामक एक ऋषि रहते थे वह बहुत ही सौम्य थे उनके आश्रम में अन्य शिष्यों में दो बहुत प्रतिभावान और * शिष्य भी थे अनेक वर्षों की कड़ी साधना के बाद दोनों अपने अपने विषय के विद्वान बन गए विद्वता के मध्य में धीरे-धीरे दोनों को बेहद घमंडी एवं चालू बना दिया अब वे आश्रम का काम भी मिलजुलकर करना पसंद नही करते थे
एक दिन जब ऋषि स्नान करके लौटे तो वह दोनों शिष्य आपस में झगड़ रहे थे ऋषि के पूछने पर दोनों अपने अपने गुणों का बखान कर स्वयं को श्रेष्ठ बता रहे थे झगड़ा बढ़ते देख सौम्या ऋषि सहायता से बोले तुम दोनों ठीक कह रहे हो अब तुम दोनों इतने विद्वान और श्रेष्ठ हो गए हो की सफाई जैसा छोटा काम तुम्हें शोभा नहीं देता आज से सफाई का काम मैं स्वयं करूंगा
यह कह कर जैसे ही वे झाड़ू उठाने लगे वैसे ही दोनों ने उनके हाथ से झाड़ू ले ली और अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगे
शिक्षा:- अपने ज्ञान पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए
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