अकल की दुकान


एक था रौनक जैसा नाम वैसा रूप अक्ल भी उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था एक दिन उसने घर के बाहर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा यहां अकल बिकती है
उसका घर बीच बाजार में था हर आने जाने वाला वहां से जरूर गुजरता था हर कोई बोर्ड देखता हंसना और आगे बढ़ जाता रौनक को विश्वास था कि उसकी दुकान एक दिन जरूर चलेगी
एक दिन एक अमीर महाजन का बेटा वहां से गुजरा दुकान देख कर उसे रहा नहीं गया उसने अंदर जाकर रौनक से पूछा यहां कैसी अकल मिलती है और उसकी कीमत क्या है उसने कहा यह इस बात पर निर्भर करता है कि तुम इस पर कितना पैसा खर्च कर सकते हो
गंपू ने जेब से ₹1 निकालकर पूछा इस रुपए के बदले कौन सी अकल मिलेगी और कितनी
भाई ₹1 की अकल से तुम ₹100000 बचा सकते हो
गंपू ने ₹1 दिया बदले में रौनक ने एक कागज पर लिखकर दिया जहां दो आदमी लड़ झगड़ रहे हो वहां खड़े रहना बेवकूफी है
गंपू घर पहुंचा और उसने अपने पिता को कागज दिखाया कंजूस पिता ने कागज पड़ा तो वह गुस्से से आगबबूला हो गया गंपू को कोसते हुए वह पहुंचा अकल की दुकान कागज की पर्ची रौनक के सामने फेंकते हुए चिल्लाया वह रुपया लौटा दो जो मेरे बेटे ने तुम्हें दिया था
रौनक ने कहा ठीक है लौटा देता हूं लेकिन शर्त यह है कि तुम्हारा बेटा मेरी सलाह पर कभी अमल नहीं करेगा
कंजूस महाजन के वादा करने पर रौनक ने रुपया वापस कर दिया
उस नगर के राजा की दो रानियां थी एक दिन राजा अपनी रानियों के साथ जोहरी बाजार से गुजरा दोनों रानियों को हीरो का एक हार पसंद आ गया दोनों ने सोचा महल पहुंचकर अपनी दासी को भेजकर हार मंगवा लूंगी संयोग से दोनों दासिया एक ही समय पर हार लेने पहुंची बड़ी रानी की राशि बोली मैं बड़ी रानी की सेवा करती हूं इसलिए हार मैं ले जाऊंगी
दूसरी बोली पर राजा तो छोटी रानी को ज्यादा प्यार करते हैं इसलिए हार पर मेरा हक है
गप्पू उसी दुकान के पास खड़ा था उसने वासियों को लड़ते हुए देखा दोनों वासियों ने कहा वे अपनी रानियों से शिकायत करेगी जब बिना फैसले के वे दोनों जा रही थी तब उन्होंने गप्पू को देखा वह बोली यहां जो कुछ हुआ तुम उसके गवाह रहना
वासियों ने रानी से और रानियों ने राजा से शिकायत की राजा ने राशिय की खबर ली वासियों ने कहा गंपू से पूछ लो वह वहीं पर मौजूद था
राजा ने कहा बुलाओ गप्पू को गवाही के लिए कल ही झगड़े का निपटारा होगा गप्पू हैरान पिता परेशान आखिर दोनों पहुंचे अकल की दुकान माफी मांगी और मदद की
रौनक ने कहा मदद तो मैं कर दूं पर अब जो मैं अकल दूंगा उसकी कीमत ₹5000 है
मरता क्या न करता कंजूस पिता के कूदते हुए दिए 5,000 रौनक ने अकल दी की गवाही के समय गप्पू पागलपन का नाटक करें और दोषियों के विरुद्ध कुछ ना कहें
अगले दिन गप्पू पहुंचा दरबार में करने लगा पागलों जैसी हरकत ए राजा ने उसे वापस भेज दिया और कहा पागल की गवाही पर भरोसा नहीं कर सकते
गवाही के अभाव में राजा ने आदेश दिया दोनों रानियां अपनी वासियों को सजा दे क्योंकि यह पता लगाना बहुत ही मुश्किल है कि झगड़ा किसने शुरू किया
बड़ी रानी तो बड़ी खुश हुई छोटी को बहुत गुस्सा आया
गप्पू को पता चला कि छोटी रानी उससे नाराज है तो वह अपनी सुरक्षा के लिए परेशान हो गया फिर पहुंचा अकल की दुकान
रौनक ने कहा इस बार अकल की कीमत ₹10000 है
पैसा लेकर रौनक बोला एक ही रास्ता है तुम वह हार खरीद कर छोटी रानी को उपहार में दे दो
गप्पू सकते में आ गया अरे ऐसा कैसे हो सकता है उसकी कीमत तो ₹100000 है
रौनक बोला कहां था ना उस दिन जब तुम पहली बार आए थे कि एक रुपए की अकल से तुम ₹100000 बचा सकते हो
इधर गप्पू को हार खरीद कर भेज करना पड़ा उधर अकल की दुकान चल निकली कंजूस महाजन सिर पीट कर रह गया

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