साधु और बिच्छू की कहानी -Sadhu aur Bichhu ki kahani
एक साधु नदी में स्नान करने गए थे उनके साथ उनका एक शिष्य भी था नदी में स्नान करते वक्त साधु को धारा में एक बिच्छू बहता हुआ नजर आया जोकि अपने जीवन के लिए नदी में संघर्ष कर रहा था महात्मा ने उसे डूबते हुए देखा तो अपने स्वभाव के अनुसार वे उसे बचाने के लिए चले गए उन्होंने जैसे ही बिच्छू को बचाने के लिए अपनी हथेली नीचे लगाई तो बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया वह दर्द से तड़प उठे और उनका हाथ छूट गया इस तरह बिच्छू पुनः जल में फिर से गिर गया पर फिर भी महात्मा ने हार नहीं मानी वह बार-बार प्रयास करते रहे और बिच्छू उन्हें बार-बार डंक मारता रहा महात्मा ने सोचा कि ऐसे वह बिच्छू को नहीं बचा पाएंगे इसलिए उन्होंने आखिरी में बिच्छू को एक ही झटके में निकाल कर बाहर किनारे पर फेंक दिया वह जानते थे कि पानी से बाहर निकलने के बाद बिच्छू अपना ख्याल खुद रख लेगा उनका यह सब प्रक्रम उनका शिष्य देख रहा था टीचर ने महात्मा से पूछा कि जब वह बिच्छू आपको बार-बार डंक मार रहा था तो आपने उसे बचाने की कोशिश क्योंकि आप उसे छोड़ भी तो सकते थे तब महात्मा ने मुस्कुराते हुए अपने शिष्य को समझाया बिच्छू का प्रवृत्ति डंक मारना है और मेरी प्रवृत्ति किसी भी जीव जंतु को बचाना है अगर बिच्छू अपनी प्रवृत्ति से नहीं चूक रहा तो मैं अपनी प्रवृत्ति क्यों छोड़ दूं इसलिए मैंने उसे बचाया
शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी मनुष्य को अपनी प्रवृत्ति नहीं छोड़नी चाहिए अगर वह प्रवृत्ति अच्छे काम के लिए हो तो
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