लालच का फल:-Lalach ka phal


 लालच का फल:-Lalach ka phal

एक आदमी बहुत लालची था वह धन पाने के लिए उचित अनुचित की परवाह नहीं करता था एक बार उसके घर एक साधु आया उसकी पत्नी ने साधु की खूब सेवा की साधु ने प्रसन्न होकर सेवा के बदले उन्हें एक मुर्गी दी जो प्रतिदिन सोने का अंडा देती थी लालची व्यक्ति सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ वह प्रतिदिन सोने के अंडे को बाजार जाकर बेच देता थोड़े ही दिनों में हुआ धनवान बन गया परंतु वह और भी धनवान बनने की सोचता रहता था

1 दिन उस लालची व्यक्ति को एक विचार सूझा उसने सोचा यह मुर्गी प्रतिदिन सोने का एक-एक अंडा देती है मुझे रोजाना एक अंडा लेकर बाजार जाना पड़ता है यदि मुझे सारे अंडे एक ही बार मिल जाए तो मैं संसार का सबसे धनवान व्यक्ति बन जाऊंगा उसने मुर्गी को पकड़ लिया और छोरी लेकर उसका पेट चीर डाला मुर्गी तुरंत मर गई परंतु यह क्या उसके पेट में तो एक भी अंडा नहीं था उसके हाथ ना तो अंडे ही लगे और ना ही मुर्गी मुर्गी नहीं रही तो अंडा कहां से आएगा वह अपनी करनी पर बहुत पछताया

शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए

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एक बार की बात है, एक गांव में एक बहुत ही लालची आदमी रहता था। वह हमेशा और और पैसे कमाने के लिए तत्पर रहता था। वह अपने पड़ोसी के बारे में सोचता है, "अगर मुझसे ज्यादा पैसे मिले तो मैं बहुत धनी होऊंगा।"


एक दिन, वह अपने खेत में काम कर रहा था जब उसने एक अजीब सा पेड़ देखा। वह पेड़ बहुत ही लाल पेड़ से लिपटा हुआ था। उसने अपनी लालची सोच को दबाकर उस पेड़ के पास जाकर पूछा, "यह पेड़ मुझे क्या दे सकता है?"


पेड़ ने उससे कहा, "मैं एक विशेष वृक्ष हूं और मेरे फल सिर्फ वही लोग खा सकते हैं जो वचन अपने लालच को परास्त करके मेरे होते हैं।"


आदमी बहुत खुश हुआ और सोचा कि वह फल के लालच से अधिक पैसा कमा सकता है। वह पेड़ से बोला, "मैं आपके बगीचे को बहुत घने दामों पर बेच सकता हूं।"


पेड़ ने मुस्कराते हुए कहा, "ठीक है, तुम मेरे बगीचे को अपने दाम पर बेच सकते हो, लेकिन एक शर्त पर।"


आदमी ने तत्परता से पूछा, "वह कौन सी शर्त है?"


ट्री ने कहा, "तुम्हें मेरे लाल सावन को खरीदने के लिए सारे पैसे छोड़ देंगे।"


लालची आदमी ने सोचा कि वह बहुत अच्छा सौदा कर रहा है। उसने खुश होकर अपने सब कुछ पेड़ों के पेड़ों को छोड़कर खरीद लिया।


लेकिन जैसे ही वह अपने घर लौटा, उसने छानबीन की और सोचा कि अब वह बहुत अमीर हो जाएगा। लेकिन उनकी खुशी का दौर बहुत ही कम समय तक चला।


वह फल खा रहा था, लेकिन उसे बहुत ही कड़वा लग रहा था। जैसे ही उसने उसे खा लिया, उसने देखा कि फल का रंग धीरे-धीरे गिरता जा रहा है।


लालची आदमी को चिंता होने लगी और वह समझ गया कि उसका लालच उसे बहुत महंगा पड़ रहा है। उसने खुद को नोटिस करना शुरू कर दिया और समझा कि वास्तविक धन और सुख जीवन में छिपा होता है, न कि लालची वस्त्र या शिकायत में।


इस कहानी से हमें सिखाने की सीख मिलती है कि लालच और जुआ खेलने वाले हमेशा हमें वास्तविक सुख और समृद्धि से दूर ले जाते हैं। वास्तविक समृद्धि हमारे अंदर की खुशी, प्रेम और संतुष्टि में पाई जाती है।

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