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स्कूल जाने की इच्छा

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                 स्कूल जाने की इच्छा एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब लड़का नाम रामू रहता था। रामू के परिवार में सिर्फ उसकी माता-पिता थे और उनके पास बहुत ही कम धन था। रामू अपने माता-पिता की मदद करने के लिए बचपन से ही कठिन मेहनत करता था। रामू को पढ़ाई का बहुत शौक था, लेकिन उसके पास कोई सुविधा नहीं थी और उसे स्कूल जाने का मौका भी नहीं मिल पाता था। एक दिन, उसने सुना कि उसके गांव में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय खुलने जा रहा है। यह सुनते ही रामू का मन खुशी से भर गया। वह जानने के लिए अपने माता-पिता के पास गया और स्कूल जाने की इच्छा जाहिर की। लेकिन रामू के माता-पिता धन की कमी के कारण उसकी इच्छा पूरी नहीं कर सकते थे। तब रामू ने फैसला किया कि वह स्कूल जाने के लिए किसी भी कीमत पर राजी है। उसने कुछ दिनों तक अपने पड़ोसी से कुछ काम करके थोड़ा पैसा इकट्ठा किया और अपने माता-पिता को दिया। उसके इच्छा को देखकर रामू के पास कुछ भी नहीं था, लेकिन उसका दिल संकल्पित था। स्कूल जाने का उसका सपना था और उसने उसे पूरा करने के लिए अपार मेहनत की। वह अध्ययन में पूरी लगन और उत्साह के साथ पढ़ाई करने ल

अक्कू की ट्रेन यात्रा

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शीर्षक: अक्कू की ट्रेन यात्रा नमस्ते दोस्तों, मैंने हाल ही में एक रोमांचक ट्रेन यात्रा की, जिसका नाम है "अक्कू की ट्रेन यात्रा"। मैं बेहद उत्साहित था इस यात्रा के बारे में, क्योंकि यह मेरी पहली ट्रेन यात्रा थी। यह एक अद्वितीय और यादगार अनुभव था, जिसे मैं शेयर करना चाहता हूँ। मेरी यात्रा उत्तर भारत के एक शहर से शुरू हुई और उसी शहर में समाप्त हुई। यह एक लंबी यात्रा थी, जिसमें हमने अनेक राज्यों के मध्य से गुजरा। पूरे सफर में, मैंने खूबसूरत पहाड़ों, घाटियों, और धार्मिक स्थलों की देखभाल की। ट्रेन के यात्रा वातावरण में एक खास मज़ा है। सभी यात्रियों के साथ बातचीत करना, अनजान लोगों के साथ दोस्ती करना और खाने-पीने का मज़ा लेना, सभी एक अद्वितीय अनुभव है। मैंने बहुत सारे रोचक किस्से सुने और देश के विभिन्न हिस्सों की जीवनशैली देखी। यात्रा के दौरान, मैंने रेलगाड़ी की झीलों को देखा, पहाड़ों के बीच चलते हुए मनमोहक दृश्यों का आनंद लिया और ताजगी के लिए खिड़की से हवा लिया। मैंने यात्रा के दौरान आपूर्ति कर्मियों की मेहनत और प्रयास का भी महसूस किया, जो यात्रा को सुचारू रूप से चलाने में लगे

नेवला और ब्राह्मण की पत्नी

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एक गांव में ब्रह्म दत्त नाम का ब्राम्हण अपने परिवार के साथ रहता था जब ब्राह्मण की पत्नी ने एक बालक को जन्म दिया था तब वे दोनों बहुत खुश हुए बच्चे के बड़े होने पर ब्राह्मण की पत्नी एक पालतू पशु चाहती थी ब्राम्हण नेवले का एक छोटा बच्चा ले आया जिसके साथ उनका बच्चा खेल सके बचाने वाले के साथ बहुत खुश रहता था ब्राह्मण की पत्नी नेवले की देखभाल बहुत अच्छे से करती थी एक दिन ब्राह्मण की पत्नी घड़ा लेकर पास से ही पानी लाने के लिए घर से चली गई उस दिन ब्राह्मण भी घर पर नहीं था बच्चा पालने में घर पर सो रहा था तभी एक सांप घर में आ गया और बच्चे की ओर रेंगने लगा मैंने आपको देखते ही उस पर हमला कर दिया और मारकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए सांप को मारने के कारण नेवले के मुंह पर फोन लग गया नेवला घर के दरवाजे पर आकर ब्राह्मण की पत्नी का इंतजार करने लगा के मुंह पर खून लगा देखकर ब्राह्मण की पत्नी डर गई उसे लगा कि मैंने उसके बच्चे की काटकर जान ले ली क्रोध में ब्राह्मण की पत्नी ने पानी से भरा घड़ा नेवले पर फेंक दिया जिसकी वजह से वहीं पर मर गया बच्चे को देखने के लिए वह अंदर भागे उसने देखा कि बच्चा पालने में सो रहा

जैसे को तैसा

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एक सारस कि एक लोमड़ी से मित्रता हो गई एक बार लोमड़ी ने सारस को भोजन का निमंत्रण दिया उसने सुख तैयार किया और उसे दो सपाट स्त्रियों में परोस दिया चलो खाने की शुरुआत करें लोमड़ी ने सारस से कहा और सूट काटना शुरू कर दिया बड़ा मजेदार है ना सुख चाटते चाटते वह बोली सारस ने सूप की सुगंध ली उसके मुंह से पानी आ गया पशु की एक बूंद भी उसके मुंह तक नहीं पहुंची उसकी सोच लंबी थी और तश्तरी सपाट थी उसे पता चल गया कि धूर्त लोमड़ी उसके साथ मजाक कर रही है लेकिन सारस चुप रहा वह देखता रहा लोमड़ी सुख चट कर गी कुछ दिनों के बाद सारस ने लोमड़ी को भोजन का निमंत्रण दीया वह लोमड़ी को अपने यहां ले गया उसने भी स्वादिष्ट सुख बनाया और संकरे मुंह वाली दो श्रेणियों में सुख प्रोस्कर सारस ने कहा चलो शुरू करें खाना उसने अपनी लंबी चोच सुराही में डाल दी सर आराम से सूप पी रहा था सुख पीछे-पीछे उसने लोमड़ी से कहा मैंने इतना स्वादिष्ट सुख कभी नहीं चखा था मैंने विशेष रूप से तुम्हारे लिए बनाया है सर मत करो जी भर कर खाओ पर लोमड़ी सुख का जरा भी स्वाद नहीं ले पाई सुराही का गर्दन बहुत संस्था सुख तक उसका मुंह पहुंच ही नहीं पाया उसे बड़ा

राजा का इलाज

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 एक राजा मोटापा बढ़ने की वजह से बीमार पड़ गया डॉक्टरों ने उसे सलाह दी कि वह खाना कम कर दे तो मोटापा घट सकता है डॉक्टरों की इस सलाह से राजा गुस्सा हो गया राजा ने ऐलान किया कि जो भी उसका अच्छा इलाज करेगा उसे बड़ा इनाम दिया जाएगा लेकिन इसमें एक शर्त थी जो भी इस कार्य में सफल रहेगा उसका सिर कलम कर दिया जाएगा ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी कि राजा का जीवन अब 1 महीने का और बचा है यह जानकर राजा डर गया और परेशान रहने लगा जिस ज्योतिषी ने यह भविष्यवाणी की थी उसे महीने भर के लिए जेल में डाल दिया गया ताकि यह देखा जा सके कि उसकी भविष्यवाणी में कितना दम है राजा बहुत डरा हुआ था उसने खाना पीना भी बहुत कम कर दिया और महीने भर के भीतर ही उसका वजन काफी गिर गया इसके बाद राजा ने जेल से ज्योतिषी को बुलाया और कहा आप क्यों नहीं मुझे तुम्हारा सिर कलम कर देना चाहिए इस पर ज्योतिषी बोला कि आपने शीशे में देखिए कि आप अब कितने स्वस्थ हो गए हैं अपने को शीशे में देखिए कि आप अब कितने स्वस्थ हो गए हैं अपने स्वस्थ और दुर्लभ काया देखकर राजा आश्चर्य का कोई ठिकाना ना रहा तब ज्योतिषी ने राजा से कहा कि असल डॉक्टर तो मैं ही था मौत क

मेहनत का फल

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  राजस्थान के एक छोटे से गांव में दो भाई रहते थे दोनों बहुत ही मेहनती थे वह मिट्टी के बर्तन बनाया करते थे एक दिन उनके गांव में एक विदेशी महिला घूमने आई उसने उनके बर्तन देखें और उनकी बहुत तारीफ की उसने उनके दाम पूछे उन्होंने उसका दाम सिर्फ ₹5 बताएं यह सुनकर वह महिला काफी अचंभित हुई उसने कहा कि तुम लोग अपने बर्तन शहर में क्यों नहीं ले जाते वहां इन्हीं बर्तनों के दाम ₹5 की जगह 500 रुपए में मिलते हैं उन दोनों को यह बातें समझ आ गई उन्होंने भी ऐसा ही करने का निर्णय किया एक दिन सुबह सुबह दोनों भाई अपने सारे बर्तनों को लेकर शहर की तरफ निकल पड़े रास्ते में एक बहुत बड़ा रेगिस्तान पढ़ता था उनका सारा खाना और लगभग आधा पानी भी खत्म हो चुका था उनका जानवर प्यासा था इसलिए आगे बढ़ने को तैयार ही ना हुआ तभी उन्हें रेगिस्तान में दूर एक जगह घने घास दिखे तब उन्होंने सोचा कि अगर यहां घना घास है तो पानी भी जरूर होगा दोनों भाइयों ने वहां खोदना शुरू किया सुबह से शाम हो गई पर पानी ना निकला थक हार कर छोटे भाई ने हार मान ली लेकिन बड़ा भाई हार मानने को तैयार न था वह मेहनत करता गया आखिरकार अगली सुबह वहां पानी निकल ही