किसान और जौहरी -Kisan aur jauhari https;//rajivkamal205.blogspot.com


 किसान और जौहरी :-Kisan aur jauhari

एक किसान शहर से बैलगाड़ी में खाद ला रहा था रास्ते में उसे एक चमकदार पत्थर पड़ा मिला उसने उसे उठाकर एक बैल के गले में बांध दिया कुछ दूर जाने पर एक जौहरी ने उसे देखा वह घोड़े से कहीं जा रहा था उसने सोचा बड़ा मूर्ख है जिसने इतना कीमती पत्थर बेल के गले में बांध दिया है उसने किसान से कहा तुम्हारे एक बैल के गले में यह पत्थर शोभा नहीं देता तुम यह हमें दे दो मैं इसे अपने घोड़े के गले में बांध लूंगा बोलो कितने में दोगे पत्थर किसान ने कहा एक रुपए में जौहरी ने सोचा यह मोर इस पत्थर के बारे में नहीं जानता यह थाने में भी दे देगा उसने किसान से 8 आने में देने के लिए कहा लेकिन किसान तैयार नहीं हुआ दोनों अपने अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए

कुछ दूर जाने पर किसान को दूसरे जौहरी ने देखा उसने भी किसान से पत्थर बेचने के लिए कहा किसान ने सोचा यदि मैं डेढ़ रुपया कहूंगा तो या पत्थर को एक रुपए में अवश्य ही ले लेगा इसलिए उसने डेढ़ रुपए में पत्थर देने की बात कही जोहरी ने सोचा यह हीरा है तथा रुपए में महंगा नहीं है यह सोचकर उसने डेढ़ रपए में पत्थर खरीद लिया

कुछ दूर जाने पर पहले जौहरी ने सोचा की है तो असली हीरा ₹1 देकर खरीद ही लूंगा वह वापस लौटा तो देखा कि दूसरे जौहरी ने उसे खरीद लिया है दूसरे जौहरी के जाने के बाद उसने किसान से कहा तुम तो बड़े मूर्ख हो हजारों का हीरा कौड़ियों के भाव में बेच दिया किसान ने कहा जब तुम पाखी थे तो कम पैसे क्यों दे रहे थे किसान की बात सुनकर जौहरी ने अपनी मूर्खता पर सिर पीट लिया


शिक्षा:- जो व्यक्ति सही समय पर सही निर्णय नहीं लेता वह बाद में पछताता है

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