Tapakane ka darr:- टपकने का डर


 Tapakane ka dar:- टपकने का डर

किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी घर में छोटे-बड़े कई सदस्य थे उसका बेटा और पोते उसका बड़ा ख्याल रखते थे उसका सबसे छोटा पोता उसके पास ही सोता था और सोते समय दादी से कहानियां सुनता दादी उसे खूब सारी कहानियां सुनाती एक था राजा एक थी रानी उनकी एक छोटी सी राजकुमारी भी थी परी जैसी प्यारी कहानी आगे बढ़ती इससे पहले ही वह सो जाता

उस वक्त वहां बारिश बहुत हुई इतनी हुई कि बंद होने का नाम ना लेती अच्छे-अच्छे मकानों की छत टपकने लगी फिर बेचारी उस बुढ़िया की टूटी फूटी तक की क्या बिसात पानी की बूंदे हर जगह तब तक टपक रही थी दादी ने पोते को उस और सुला दिया जहां पानी नहीं टपक रहा था लेकिन पोते की नींद नहीं आ रही थी पानी अभी भी बरस रहा था चारों ओर अंधेरा था 

घोर अंधकार दादी मुझे तो बड़ा डर लग रहा है सब तरफ अंधेरा ही अंधेरा है आपको डर नहीं लगता पोते ने पूछा और डर काहे का देख मुझे किसी से डर नहीं लगता अगर लगता है तो सबसे बड़ा डर तबके का है दादी ने पोते की हिम्मत बंधाई उस दिन एक शेर आंधी पानी से घबराकर बुढ़िया के अंधेरे घर में 8 छिपा था गुड़िया की बात सेल ने सुनी तो एक बात सोचने लगा यह टपका क्या मुझसे भी ज्यादा बलवान है जो बुलिया मुझ से नहीं डरती तबके से डरती है सोचते सोचते घबरा गया और जंगल की ओर भाग गया और उसके दिमाग में केवल टपका समाया हुआ था उसने अभी तक तबके को देखा नहीं था बस हर समय डरता रहता कहीं वह इधर जंगल में ना आ जाए इसी डर के कारण वह एक टूटी और उजाड़ झोपड़ी में छिप गया

आंधी पानी के बीच एक कुम्हार का गधा कहीं भाग गया कुम्हार हैरान कहां चला गया ऐसे में वह सोचता रहा वह अपने दोस्त के घर गया भैया रामू उसने दरवाजे पर आवाज दी रामू भी इस आंधी पानी के कारण घर में ही था जब उसने अपने भाई बंधु की आवाज सुनी तो वहीं से चिल्लाया हां भैया अरे बाहर कहां खड़े हो अंदर ही आ जाओ इस पानी में कहीं खांसी खुर्दा हो गया तो मुश्किल हो जाएगी वह भीगा हुआ तो था ही उन्हीं कपड़ों में अंदर जा पहुंचा भैया मेरा प्यारा गधा इस आंधी पानी में ना जाने कहां खो गया है उसे ही ढूंढने निकला हूं तुम्हारे गधों के साथ तो नहीं चला आया नहीं भैया मेरे यहां नहीं है तुम मेरे घर में घुस कर देख लो रामू ने कहा

मुझे तुम पर विश्वास है भैया रामू मैं उसे खोज कर ही अब घर जाऊंगा कुम्हार यह कहता हुआ अंधेरे में गायब हो गया इसी तरह वह कई लोगों के यहां गया पूछा और आगे बढ़ गया लेकिन उसे गधे का कोई पता निशान नहीं मिल रहा था हैरान-परेशान वह इधर से उधर मारा मारा फिर रहा था इधर पानी उधर अंधेरा उसे कुछ दिखाई भी नहीं पढ़ रहा था वह एक पंडित जी के घर गया वह जानवर खो जाने पर लोगों को दिशा और स्थान तक बता देते लोग अपने जानवर को ऐसे पकड़ लाते जैसे अपने खुद पर से खोल कर ला रहे हो कुम्हार ने आव देखा न ताव वर्धन आता हुआ घर में घुस गया पंडित जी मेरा गधा खो गया है जरा बता दो कहां होगा

पंडित जी तो वैसे ही परेशान थे उनका घर कई जगह से रिस रहा था उन्हें कुम्हार का बेवक्त आना अच्छा नहीं लगा पंडित जी गुस्से में बड़बड़ा कर बोले होगा किसी खाई खड्डे में कुम्हार खाई और पोखरा में गधे की तलाश में भाग छूटा एक तलैया के किनारे एक टूटी फूटी झोपड़ी उसे दिखाई दी वह उसी की ओर बढ़ गया कौन हो मेरा गधा इस तलैया के आसपस ही होना चाहिए

पंडित ने ऐसा ही कुछ इशारा किया था बेचारा शेर तबके के डर से इसी झोपड़ी में छुप कर बैठा था कुम्हार इस झोपड़ी के पास जैसे ही आया शेर ने करवट बदली तो कोचीन के पत्तों की आवाज हुई अंधेरा तो था ही कुम्हार ने अंदाजा लगाया कि फोन ना हो मेरा गधा इसी में बैठा है वह झोपड़ी में घुस गया जाते ही उसने सबसे पहले दो डंडे उसे जड़ दिए शेर की हालत खराब थी उसने सोचा यही वह टपका है जिसके मारे बुढ़िया भी डर रही थी क्योंकि कोई आदमी होता तो मुझे देखते ही डर के मारे बेहोश होकर गिर पड़ता इसलिए तो आव देखा ना ताव मेरी पीठ ही तोड़ कर रख दी मैं अगर और हिला दुला तो ना जाने मेरी क्या बात बनाएगा यह वह चुपचाप बैठा रहा

मुझसे बचकर कोई रहा है आज तक मैंने जाने कितने चढ़ा कर छोड़ दिए और तू समझता था कि मैं इस झोपड़ी में छिप कर बैठ जाऊंगा कुम्हार ने यह कह कर शेर का कान पकड़कर खींचना शुरू कर दिया बेचारा से टपके के डर के मारे चुपचाप उठकर कुमार के साथ चल दिया कुम्हार 10 तरह की बातें सुनाता शेर को डांटता हुआ भागता भागता अपने घर आया और शेर को एक रस्सी से आंगन में बांधकर घर में जाकर सो गया दिन निकला बारिश बंद हो चुकी थी लोग वहां से निकलते और अचंभा करते कुम्हार के घर के आगे गधे की जगह शेर बंधा था


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