Buddhiman Raja:- बुद्धिमान राजा


 Buddhiman Raja:- बुद्धिमान राजा

सैकड़ों वर्ष पुरानी बात है चीन में एक निर्दई राजा राज्य करता था वह अपनी प्रजा पर तरह तरह के अत्याचार करता था उसके महामंत्री ने उसे राज्य को बढ़ाने की सलाह दी महामंत्री की सलाह उसे ठीक लगी उसने सेना में सैनिकों की भर्ती प्रारंभ कर दी कुछ ही समय में उसके पास विशाल सेना इकट्ठी हो गई उसने सेना को आसपास के पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करने का आदेश दिया बिना और हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी राजाओं ने बिना लड़े ही हार मान ली उन्होंने विजई राजा को धन और सैनिक उपहार में दिए एक पराजित राजा ने उसे हम भारत के कलिंग पर देश की समृद्धि के विषय में बताया उसने अपनी सेना को भारत की ओर कूच करने का आदेश दिया उसकी सेना नदी नाले समुद्र पार करती छोटे बड़े राज्यों को रौंदकर हुई आज के सिंगापुर तक पहुंच गई उसने वहां पढ़ा डाला वहां नौकाओं जहाजों तथा वस्तुओं का निर्माण शुरू कर दिया भारत के कलिंग प्रदेश के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए उसने चारों दिशाओं में दूत भेज दिए

कलिंग के राजा को भी इस आक्रमण के बारे में जानकारी मिली उसके पास प्रशिक्षित सेना थी अच्छी सैन्य सामग्री थी इसके बावजूद वह जानता था कि उसकी सेना आक्रमणकारी दल के सामने नहीं टिक पाएगी उसका राज्य तहस-नहस हो जाएगा वह बुद्धिमान साहसी शूरवीर और स्वाभिमानी था उसने राज्य के बुद्धिमान व्यक्तियों की एक गुप्त बैठक बुलाई सारी स्थिति पर विचार करने के बाद एक बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा युद्ध सैनिक बल से नहीं बुद्धि बल से जीते जाते हैं

गुप्त सभा में कई दिनों तक विचार-विमर्श होता रहा विचार-विमर्श के बाद बुद्धिमान व्यक्तियों ने राजा को एक सुझाव दिया राजा को वह सुझाव बहुत पसंद आया उसने शीघ्र ही उस पर काम शुरू कर दिया कुछ दिन बाद एक बड़ी नौका सिंगापुर तट तक पहुंची तट पर तैनात चीनी सैनिकों ने नौका को पकड़ लिया नौका में सवार व्यक्तियों को बंदी बना लिया जब उन्हें पता चला कि बंदी व्यक्ति भारतीय हैं तो उन्हें राज्य के दरबार में पेश किया गया राजा को जब यह पता चला कि पकड़े गए व्यक्ति भारतीय हैं तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा उसने कड़क आवाज में बंदीयो से कहा भारत जाने की दिशा और सही रास्ता बताओ यदि नहीं बताया तो फिर सर धड़ से अलग कर दिया जाएगा

सभी बंदी वृद्ध थे उनमें से एक ने बिना किसी भय के कहा महाराज भारत का रास्ता बताने में हमें कोई आपत्ति नहीं है आप हमारे प्राण ले ले तो भी हमें कोई अंतर नहीं पड़ेगा इस जन्म में तो हम अपनी जन्मभूमि कभी नहीं देख सकेंगे इतना कह कर वह और उसके साथ ही जोर जोर से रोने लगे उनको रोता देखकर राजा सोच में पड़ गया उसके रोकने का कारण पूछने पर उन्होंने बताया हमारा देश यहां से बहुत दूर है अपने देश से जब हम सिंगापुर देखने के लिए चले तो हम सब जहान थे यहां पहुंचते-पहुंचते हम सब बुङे हो गए हमारे अनेक साथ भी रास्ते में ही मर गे

वृद्ध ने अपने थैले में से सुईया निकाली और कहने लगा जब हम चले तो यह लोहे की छड़ थी वर्षों की यात्रा में समुद्री हवा और पानी में गल ते गल ते यह सुईया मात्र रह गई दूसरे वृद्ध ने अपने टोकरी में से एक सूखा फल निकाला और दिखाते हुए कहा महाराज देखिए हम इस फल के बीज यहां के राजा को भेंट करने के लिए लेकर चले थे रास्ते में ही बीज वृक्ष बन गए फल भी निकल आए फल भी रास्ते में ही सूख गए राजा ने वृद्ध बंधुओं को छोड़ने का आदेश दिया उसके बाद उसने अपने सहयोगियों से विचार-विमर्श करके कहा यदि भारत इतनी दूर है तो वहां तक पहुंचते-पहुंचते हमारे सैनिक बूढ़े हो जाएंगे बहुत से रास्ते में ही मर जाएंगे यदि हम भारत तक पहुंच गए तो वापस लौटते हुए सब मर जाएंगे इसलिए हमें अब वापस लौट जाना चाहिए

बुद्धिमान व्यक्तियों के सुझाव ने कलिंग बचा लिया उन्होंने ही राजा को यह सुझाव दिया था कि नौका पर सुईयां पके फल और 60 वर्ष से ऊपर के वृद्धों को सिंगापुर भेजा जाए सच बुद्धि बल से बड़ा कोई बल नहीं

Rajivkamal. Com

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

The Magic of 3D Pens

Pav Bhaji Recipe

Hempz Body Lotion