परिश्रम का फल:-Parisram ka phal


 परिश्रम का फल:-Parishram ka phal

एक बार मछुआरों का एक दल मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में गया मछुआरों ने मछली पकड़ने के लिए समुद्र के पानी में अपना जाल फेंका जब उन्होंने जाल बाहर खींचा तो वह खाली था ऐसा कई बार हुआ हर बार मछुआरों के जाल में कुछ नहीं फसा मछुआरे अपना धैर्य खोने लगे लेकिन उनके ब्रिज सरदार ने उन्हें लगातार प्रयास करते रहने की सलाह दी मछुआरों ने फिर कोशिश की लेकिन वे असफल रहे

अब उन सबने थक हार कर मछली पकड़ना बंद कर दिया और निराश होकर बैठ गए तब उनका सरदार होला हमें कार्य को कभी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए हमें परिश्रम का फल अवश्य मिलेगा सरदार की यह बातें सुनकर एक बार फिर उन्होंने जाल फेंका और इस बार उनके जाल में कुछ फस गया वृद्ध सरदार बोला जाल को बाहर खींचो जब उन्होंने जाल को बाहर खींचा तो उसमें एक संदूक फंसा हुआ था उसे खोलने पर उन्होंने पाया कि वह सोने के सिक्कों से भरा हुआ था सरदार ने वर्धन सभी में बराबर बराबर बांट दिया यह देखकर सब समझ गए कि बार-बार प्रयत्न करने से ही सफलता मिलती है मनुष्य को कभी भी निराश नहीं होना चाहिए

शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि निरंतर प्रयास करते रहने से ईश्वर हमें उसका फल अवश्य देते हैं

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