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परिश्रम का फल:-Parisram ka phal

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 परिश्रम का फल:-Parishram ka phal एक बार मछुआरों का एक दल मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में गया मछुआरों ने मछली पकड़ने के लिए समुद्र के पानी में अपना जाल फेंका जब उन्होंने जाल बाहर खींचा तो वह खाली था ऐसा कई बार हुआ हर बार मछुआरों के जाल में कुछ नहीं फसा मछुआरे अपना धैर्य खोने लगे लेकिन उनके ब्रिज सरदार ने उन्हें लगातार प्रयास करते रहने की सलाह दी मछुआरों ने फिर कोशिश की लेकिन वे असफल रहे अब उन सबने थक हार कर मछली पकड़ना बंद कर दिया और निराश होकर बैठ गए तब उनका सरदार होला हमें कार्य को कभी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए हमें परिश्रम का फल अवश्य मिलेगा सरदार की यह बातें सुनकर एक बार फिर उन्होंने जाल फेंका और इस बार उनके जाल में कुछ फस गया वृद्ध सरदार बोला जाल को बाहर खींचो जब उन्होंने जाल को बाहर खींचा तो उसमें एक संदूक फंसा हुआ था उसे खोलने पर उन्होंने पाया कि वह सोने के सिक्कों से भरा हुआ था सरदार ने वर्धन सभी में बराबर बराबर बांट दिया यह देखकर सब समझ गए कि बार-बार प्रयत्न करने से ही सफलता मिलती है मनुष्य को कभी भी निराश नहीं होना चाहिए शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि निरंतर प

प्रिंसेज फूल कुमारी की कहानी-Princess Phul kumari ki kahani

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 प्रिंसेज फूल कमारी की कहानी:- Princess Phul Kumari ki kahani एक बहुत ही प्यारे प्रदेश के राजा की एक प्यारी सी बेटी थी उनकी बेटी पर ईश्वर की विशेष कृपा थी जब भी हंसती थी तो पूरा आसमान फूल पौधे चिड़िया सभी मुस्कुराने लगते थे उसकी खिलखिला हट से पूरे नगर में रौनक बनी रहती थी जब भी वह उदास होती थी तो चारों तरफ मायूसी छा जाती थी एक दिन वह किसी बात को लेकर बहुत दुखी थी और वह ऐसे ही दुखी रहने लगी जिसके कारण चारों तरफ मायूसी छा गई राजा बहुत परेशान और दुखी हो गए कि अब उनकी बेटी को कैसे हटाया जाए उन्होंने बहुत प्रयास किया कि उनकी बेटी खुश हो जाए पर ऐसा वह कर ना सके तब उन्होंने पूरे नगर में यह ऐलान कर दिया कि जो भी उनकी पुत्री को हंसाने में कामयाब होगा उससे वह अपनी पुत्री की शादी करा देंगे यह घोषणा सुनकर बहुत सारे लोगों ने कोशिश की पर कोई भी राजकुमारी को हंसाना सका जब राजा मायूस हो गए तभी उनके दरवाजे पर एक अजीब सा इंसान आया जिसने बहुत ही अजीबोगरीब पुलिया बना रखा था और वह बकरे पर बैठकर आया था जिसे देखकर सभी लोग हंसने लगे उसने कहा कि वह राजकुमारी को जरूर हस आएगा राजा ने उसकी बात मान ले सभा लगाई गई

साधु और बिच्छू की कहानी -Sadhu aur Bichhu ki kahani

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 एक साधु नदी में स्नान करने गए थे उनके साथ उनका एक शिष्य भी था नदी में स्नान करते वक्त साधु को धारा में एक बिच्छू बहता हुआ नजर आया जोकि अपने जीवन के लिए नदी में संघर्ष कर रहा था महात्मा ने उसे डूबते हुए देखा तो अपने स्वभाव के अनुसार वे उसे बचाने के लिए चले गए उन्होंने जैसे ही बिच्छू को बचाने के लिए अपनी हथेली नीचे लगाई तो बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया वह दर्द से तड़प उठे और उनका हाथ छूट गया इस तरह बिच्छू पुनः जल में फिर से गिर गया पर फिर भी महात्मा ने हार नहीं मानी वह बार-बार प्रयास करते रहे और बिच्छू उन्हें बार-बार डंक मारता रहा महात्मा ने सोचा कि ऐसे वह बिच्छू को नहीं बचा पाएंगे इसलिए उन्होंने आखिरी में बिच्छू को एक ही झटके में निकाल कर बाहर किनारे पर फेंक दिया वह जानते थे कि पानी से बाहर निकलने के बाद बिच्छू अपना ख्याल खुद रख लेगा उनका यह सब प्रक्रम उनका शिष्य देख रहा था टीचर ने महात्मा से पूछा कि जब वह बिच्छू आपको बार-बार डंक मार रहा था तो आपने उसे बचाने की कोशिश क्योंकि आप उसे छोड़ भी तो सकते थे तब महात्मा ने मुस्कुराते हुए अपने शिष्य को समझाया बिच्छू का प्रवृत्ति डंक मारना है और

व्यायाम के लाभ -Vyayam ke labh

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 व्यायाम के लाभ:-vyayam ke labh श्रेष्ठ स्वास्थ्य शरीर की शोभा को बढ़ाता है जो स्वस्थ रहता है वह सदा प्रसन्न रहता है स्वास्थ्य के बिगड़ जाने पर शरीर को अनेक प्रकार के रोग घेर लेते हैं अतः शरीर का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है व्यायाम से शरीर स्वस्थ रहता है व्यायाम करने वाला व्यक्ति कभी रोगी नहीं होता व्यायाम कई प्रकार से किया जाता है बच्चे खेल कूद दौड़ कबड्डी आदि खेल कर व्यायाम कर सकते हैं तैरना दंड बैठक योगासन फुटबॉल हॉकी क्रिकेट आधी खेलना युवकों के व्यायाम करने के उत्तम साधन हैं उन्हें व्यक्ति सरकार के व्यायाम का लाभ प्राप्त कर सकते हैं स्त्रियों का घर के कामकाज से व्यायाम हो जाता है व्यायाम करने से शरीर चुस्त दुरुस्त हो जाता है तनमन में स्फूर्ति बनी रहती है इससे आलस दूर होता है और काम में मन लगता है भोजन शीघ्र पहुंच जाता है पाचन शक्ति ठीक रहती है पसीना आने से शरीर की गंदगी बाहर निकल जाती है रक्त का संचार ठीक प्रकार से होकर शरीर निरोग और स्वस्थ बना रहता है व्यायाम करने के लिए आवश्यक है कि व्यायाम प्रतिदिन नियम पूर्वक किया जाए उतना ही किया जाना चाहिए जिससे थकान ना हो व्यायाम खुले स्थान पर

किसान और जौहरी -Kisan aur jauhari https;//rajivkamal205.blogspot.com

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 किसान और जौहरी :-Kisan aur jauhari एक किसान शहर से बैलगाड़ी में खाद ला रहा था रास्ते में उसे एक चमकदार पत्थर पड़ा मिला उसने उसे उठाकर एक बैल के गले में बांध दिया कुछ दूर जाने पर एक जौहरी ने उसे देखा वह घोड़े से कहीं जा रहा था उसने सोचा बड़ा मूर्ख है जिसने इतना कीमती पत्थर बेल के गले में बांध दिया है उसने किसान से कहा तुम्हारे एक बैल के गले में यह पत्थर शोभा नहीं देता तुम यह हमें दे दो मैं इसे अपने घोड़े के गले में बांध लूंगा बोलो कितने में दोगे पत्थर किसान ने कहा एक रुपए में जौहरी ने सोचा यह मोर इस पत्थर के बारे में नहीं जानता यह थाने में भी दे देगा उसने किसान से 8 आने में देने के लिए कहा लेकिन किसान तैयार नहीं हुआ दोनों अपने अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए कुछ दूर जाने पर किसान को दूसरे जौहरी ने देखा उसने भी किसान से पत्थर बेचने के लिए कहा किसान ने सोचा यदि मैं डेढ़ रुपया कहूंगा तो या पत्थर को एक रुपए में अवश्य ही ले लेगा इसलिए उसने डेढ़ रुपए में पत्थर देने की बात कही जोहरी ने सोचा यह हीरा है तथा रुपए में महंगा नहीं है यह सोचकर उसने डेढ़ रपए में पत्थर खरीद लिया कुछ दूर जाने पर पहले जौहरी न

घमंडी शिष्य - Ghamandi shishya https;//rajivkamal205.blogspot.com

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 घमंडी शिष्य - Ghamandi shishya सिंधु नदी के तट पर सौम्य देव नामक एक ऋषि रहते थे वह बहुत ही सौम्य थे उनके आश्रम में अन्य शिष्यों में दो बहुत प्रतिभावान और * शिष्य भी थे अनेक वर्षों की कड़ी साधना के बाद दोनों अपने अपने विषय के विद्वान बन गए विद्वता के मध्य में धीरे-धीरे दोनों को बेहद घमंडी एवं चालू बना दिया अब वे आश्रम का काम भी मिलजुलकर करना पसंद नही करते थे एक दिन जब ऋषि स्नान करके लौटे तो वह दोनों शिष्य आपस में झगड़ रहे थे ऋषि के पूछने पर दोनों अपने अपने गुणों का बखान कर स्वयं को श्रेष्ठ बता रहे थे झगड़ा बढ़ते देख सौम्या ऋषि सहायता से बोले तुम दोनों ठीक कह रहे हो अब तुम दोनों इतने विद्वान और श्रेष्ठ हो गए हो की सफाई जैसा छोटा काम तुम्हें शोभा नहीं देता आज से सफाई का काम मैं स्वयं करूंगा यह कह कर जैसे ही वे झाड़ू उठाने लगे वैसे ही दोनों ने उनके हाथ से झाड़ू ले ली और अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगे शिक्षा:- अपने ज्ञान पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए Rajiv Kamal.com

एक अनार - Ek Aanar

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एक गाँव में एक बहुत ही अनोखा आदमी रहता था। वह अनभिज्ञता में माहू था और हर वक्त किसी चीज को लेकर अपने अनोखे मजाक और कहानियों के जरिए लोगों को हंसाने में लगा रहता था। उसका नाम रामू था. रामू का विशेष ध्यान एक अनार के पेड़ पर था। उस पेड़ पर हर साल एक अनार की बहुत सारी फलियां आती रहती हैं। इसलिए, लोग उस पेड़ को बहुत महत्वपूर्ण बताते हैं और उसका ध्यान रखते हैं। लेकिन रामू उस पेड़ को देखकर हमेशा हंसता रहता था। एक दिन, गाँव के लोग इकट्ठे हो गए और रामू के पास आ गए और बोले, "रामू, तुम हमेशा इस पेड़ को देखकर क्यों हंसते हो? इसमें क्या खास है?" रामू ने चुलबुलाहट को देखा और कहा, "हाँ, इस पेड़ को देखो! यह एक अनार का पेड़ है, लेकिन इसके फल में एक खास ताकत है।" लोगों ने कहा, "रामू कौन है?" रामू ने कहा, "इस पेड़ का एक अनार खा लेने से मनुष्य का आयुवर्धक प्रभाव पड़ता है।" लोग हंसने लगे और देखने लगे, "क्या तुमने लिखा हो, रामू?" रामू ने नाचते हुए कहा, "हां, बिल्कुल सच। आप खुद ही देख लीजिए, जब आपको एक अनार्य खाने का मौका मिलेगा, तो आप प्यारे और