जैसे को तैसा
एक सारस कि एक लोमड़ी से मित्रता हो गई एक बार लोमड़ी ने सारस को भोजन का निमंत्रण दिया उसने सुख तैयार किया और उसे दो सपाट स्त्रियों में परोस दिया
चलो खाने की शुरुआत करें लोमड़ी ने सारस से कहा और सूट काटना शुरू कर दिया बड़ा मजेदार है ना सुख चाटते चाटते वह बोली
सारस ने सूप की सुगंध ली उसके मुंह से पानी आ गया पशु की एक बूंद भी उसके मुंह तक नहीं पहुंची उसकी सोच लंबी थी और तश्तरी सपाट थी उसे पता चल गया कि धूर्त लोमड़ी उसके साथ मजाक कर रही है लेकिन सारस चुप रहा वह देखता रहा लोमड़ी सुख चट कर गी
कुछ दिनों के बाद सारस ने लोमड़ी को भोजन का निमंत्रण दीया वह लोमड़ी को अपने यहां ले गया उसने भी स्वादिष्ट सुख बनाया और संकरे मुंह वाली दो श्रेणियों में सुख प्रोस्कर सारस ने कहा चलो शुरू करें खाना उसने अपनी लंबी चोच सुराही में डाल दी सर आराम से सूप पी रहा था सुख पीछे-पीछे उसने लोमड़ी से कहा मैंने इतना स्वादिष्ट सुख कभी नहीं चखा था मैंने विशेष रूप से तुम्हारे लिए बनाया है सर मत करो जी भर कर खाओ पर लोमड़ी सुख का जरा भी स्वाद नहीं ले पाई सुराही का गर्दन बहुत संस्था सुख तक उसका मुंह पहुंच ही नहीं पाया उसे बड़ा दुख हुआ लोमड़ी समझ गई कि उसने सारस के साथ जो शरारत की थी उसी का यह फल उसे भुगतना पड़ रहा है
बहुत अच्छा है।
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