गणेश जी आरती पाठ
गणेश जी की आरती का पाठ हिन्दू धर्म में उन्हें पूजन करने के बाद किया जाता है। यह आरती उनकी महिमा और आशीर्वाद को प्रकट करने का एक आदर्श तरीका है। नीचे दी गई है गणेश जी की प्रसिद्ध आरती "जय गणेश देवा" का पाठ:
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एकदंत दयावन्त, चारभुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी॥
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा॥
अंधन को आंधियारों से जब आप जगाते हैं।
आदित्याग्नि तुम बिना क्या जगत को जलाते हैं॥
शरण में आए तेरे, शरणागत हुए।
अपने जन को संतति दे, उसकी रक्षा कीजे॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा॥
अक्षर में योगी सदा, निर्गुण स्वामी सोहे।
अक्षर में योगी सदा, निर्गुण स्वामी सोहे॥
दुष्ट सेवक जनन के संकट, दास जन के आते।
चंडा मे दिया फ़ल मेवा, सुख संपत्ति घर आते॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा॥
विद्यार्थी लाड के लाडू, दूध पीले मक्खान।
मूषक वाहन मोदक, चामर सुंदर छान॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
यह आरती गणेश जी को समर्पित होती है और उनके पूजन के दौरान भक्तों द्वारा उत्साह पूर्वक गाई जाती है। इसके माध्यम से भक्त गणेश जी से कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।
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