बंदर और गिलहरी का याराना


 बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक बंदर और एक गिलहरी रहते थे एक दिन बंदर पेड़ पर बैठा था उसकी पूंछ बहुत लंबी थी इतनी लंबी थी कि वह जमीन तक लटक रही थी

बंदर मजे से पेड़ पर बैठा था गिलहरी जमीन पर उछल कूद कर रही थी तभी उसे लटकती पूछ दिखाई दी वह पूछ पर चढ गई और झूलने लगी उसे बड़ा मजा आ रहा था

गिलहरी के झूलने से बंदर को गुदगुदी होने लगी उसे नीचे की ओर देखा उसे पूछ पर गिलहरी दिखाई दी वह हंसकर बोला गिलहरी तुम मेरी कुछ पर क्यों झूल रही हो मुझे गुदगुदी हो रही है गिलहरी ने यह सुनकर ऊपर की ओर देखा उसे बंदर दिखाई दिया वह बोली बंदर महाराज यह आप हो मैं तो पूछ को झूला समझा था

मैं तो झूला झूल रही थी मुझे इसमें बड़ा मजा आ रहा था यह सुनकर बंदर हंसने लगा गिलहरी भी पूछ को छोड़कर पेड़ की डाली पर चढ़कर बंदर के साथ बैठ गई और दोनों की गहरी दोस्ती हो गी

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