मूर्ख राजा की कहानी


 बहुत पुरानी बात है एक बहुत मूर्ख राजा रहता था जिसका मंत्री बहुत होशियार रहता है 1 दिन राजा और मंत्री दोनों नदी किनारे घूमने के लिए जाते हैं तभी राजा मंत्री से पूछता है यह नदी कहां से निकलती है और कहां तक जा रही है मंत्री राजा को बताता है यह नदी उत्तर दिशा से निकलती है और पूरब देश तक जाती है राजा मंत्री शेख कहता है तो इस नदी का सारा पानी पूर्वी देश के लोग उपयोग में लाते होंगे मंत्री राजा से कहता है हरा महाराज जिसकी जितनी जरूरत होती है वह उस हिसाब से जहां तक नदी जाती है सब इसके पानी का उपयोग करते हैं महाराजा चढ़कर कहते हैं यह नदी हमारी है और इसका पानी भी हमारा है और इसका उपयोग पूर्वी राज्य के राजा और प्रजा सब लोग कर रहे हैं मैं ऐसा और नहीं होने दूंगा तुम तुरंत जाओ और नदी पर बांध बनाने की तैयारी करो मंत्री राजा को समझाने की कोशिश करता है अगर नदी पर बांध बन जाएगा तो हमारे बहुत नुकसान होंगे राजा एक नहीं सुनता है और मंत्री को आदेश देता है कि जल्द से जल्द इस नदी पर बांध बन जाना चाहिए राजा के आदेश अनुसार मंत्री बहुत जोर शोर से नदी पर बांध बनाने का काम चालू कर देता है राज्य के सारे मजदूर और मिस्त्री सब उस नदी पर बांध बनाने में जुट जाते हैं काम दिन के साथ-साथ रात में भी चलता है बंद बनाने के लिए राजा व्यापारियों और किसानों से अधिक कर वसूली की घोषणा भी कर देता है बांध का काम रिकॉर्ड तीव्रता से करवाता है कुछ ही महीनों में एक भव्य बांध बनकर तैयार हो जाता है बांध बनने से नदी का पानी पूरी तरह से पूर्वी राज्य में जाना बंद हो जाता है और कुछ ही दिनों में तेज बारिश होती है और नदी पर बांध बनने की वजह से बहुत से गांव डूब जाते हैं जैसे मंत्री ने पहले कहा था वैसा ही हो रहा था पर गांव के सभी लोगों को राजा पर बिल्कुल भरोसा नहीं था वह सब मिलकर मंत्री के पास गए और अपनी समस्या सुनाई मंत्री ने सबकी समस्या सुनी और सूझबूझ से एक रास्ता निकाला मंत्री ने राजा के महल में जो सिपाही हर समय घंटा बजाकर वक्त बताता था उसको यह समझा दिया कि हर आधे घंटे में घंटा बजाया करें और वैसे ही किया जैसा कि रात 3:00 बज गया और उसने 6 घंटे बजाएं 6 घंटे सुनकर राजा जाग गए और बाहर आए तो देखा कि अंधेरा है अभी तो सूरज नहीं निकला है सुबह का मुआयना करने महल के बाहर निकलता है तो देखता है बाहर मंत्री खड़ा है राजा मंत्री से तुरंत कहता है आखिर आज सूरज क्यों नहीं निकला 6:00 बज गए हैं अभी तक अंधेरा ही है मंत्री राजा से कहता है जिस प्रकार हम पूर्वी देशों का पानी रोक लिया है मुझे लगता है उन लोगों ने सूरज की किरणों को रोक लिया है ताकि हम तक उजाला ना पहुंच सके राजा यह बात सुनकर बहुत परेशान हो जाता है और मंत्री से कहता है क्या इसका कोई उपाय नहीं हो सकता अगर सूरज नहीं निकलेगा तो हम राज्य में भुखमरी से मर जाएंगे ना कोई फल होगी और ना राज्य के सभी लोग स्वस्थ बिगड़ जाएंगे मंत्री राजा से कहता है मेरे पास एक उपाय है मैं पूर्वी देशों के राजाओं को संदेश दूंगा पर आप को तोड़ना होगा जब यह बांध टूट टूट जाएगा तो वह सूरज की किरणों को हमारे यहां आने देंगे राजा मंत्री की बात मान लेता है और बांध को तोड़ने का आदेश दे देता है जैसे ही बांध टूटता है 3 घंटे बाद सूरज निकल आती है इससे राजा बहुत खुश होता है और मंत्री की बहुत तारीफ करता है राजा और मंत्री की सूझबूझ और बुद्धिमानी पर उसे इनाम देने की घोषणा करता है इस प्रकार राजा अपने मंत्री का काम बना जाता है और आम जनता भी खुश हो जाती है मंत्री की सूज भुज से पूरे राज्य की जनता और दूसरे राज्यों की जनता का भी भला होता है मंत्री हर संभव कोशिश करता है कि राजा कभी कोई गलती निर्णय ना ले अगर गलत निर्णय ले भी ले तो उसे कैसे सुधारा जाए मंत्री कि इस सूझबूझ से सारे राज्य में उसकी एक अलग पहचान बनती है और राजा से ज्यादा फरियादी मंत्री से मिलने आते हैं जब जब राजा कहीं फस जाता है तब तब मंत्री राजा की भी मदद करता है वह वजह से मंत्री राजा का भी बहुत प्रिय होता है अपनी प्रजा का भी बहुत प्रिय होता है दोस्तों हम सब ने राजा रानियों की बहुत सारी कहानियां पढ़ी है आज की कहानी भी इसी विषय पर थी इस कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक सर्वोच्च पद पर मूर्ख व्यक्ति बैठता है और गलत निर्णय लेता है पहले जब लोकतंत्र नहीं था तब राजा का पुत्र ही राजा बनता था वह चाहे मूर्ख हो या चाहे समझदार पर सब कुछ उसी पर निर्भर करता था अगर राजा बुद्धिमान और साहसी होता तो राज्य संपन्न होता अगर राजा मूर्ख निकलता तो राज्य की सारी जनता को कष्ट भोगने पड़ते दोस्तों आपको नई कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करें जरूर बताएं आपके कमेंट हमें लिखने की प्रेरणा देते हैं हम आप तक इन कहानियों को पहुंचाने के लिए बहुत प्रयत्न करते हैं धन्यवाद

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