खट्टे अंगूर


 एक बार एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी लोमड़ी अपने दोस्त से मिलना चाहती थी जो जो दूर के जंगल में रहता था वह उससे मिलने के लिए घर से निकल पड़ी चलते चलते वह बहुत दूर निकल गई रास्ते में उसे बहुत जोर की भूख लगी उसने सोचा कुछ खाने को मिल जाए तो अच्छा होता यही सोचते हुए वह जा रही थी कि अचानक उसे एक अंगूर का पेड़ दिखा उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए वह खुशी-खुशी उस अंगूर के पेड़ के पास चली गई और अंगूर को तोड़कर खाने की कोशिश करने लगी वह सोच रही थी यह अंगूर बहुत ही मीठे लग रहे हैं अगर यह मुझे मिल जाए तो मेरा दिन बन जाए यही सोचते हुए अंगूर को पाने की नाकामयाब कोशिश करती रही लेकिन वह अंगूर का एक भी दाना तोड़न सकी थक हार कर उसने हार मान ली अपने आप को यह कह कर समझा लिया कि यह अंगूर बहुत ही खट्टे हैं इसे मैं खा कर क्या करूंगी और आगे चल पड़

इस कहानी से हमें यह सीख सीख मिलती है कि हमें जब कुछ ना मिले प्राप्त हो पाए तो अपने मन को मना लेना पड़ता है

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