Konark sun Temple story


Konark Sun Temple Story 
 

हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना गया है वेदों पुराणों के मुताबिक सूर्य देव की आराधना से कुंडली के सभी दोष दूर होते हैं वही सभी देवताओं में सूर्य ही एक ऐसा देवता हैं जिन्हें साक्षात रूप से देख सकते हैं इनके साथ ही सूर्य देवता की रोशनी से ही जीवन संभव है यही नहीं धरती पर सूर्य ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं


वैदिक काल से ही सूर्य की पूजा अर्चना की जा रही है वहीं कुछ बड़े राजाओं ने सूर्य देव की आराधना की और कष्ट दूर होने एवं मनोकामना पूर्ण होने पर सूर्य देव के प्रति अपनी अटूट आस्था प्रदर्शित करने के लिए कई सूर्य मंदिरों का निर्माण भी करवाया उन्हीं में से एक कोणार्क का सूर्य मंदिर है जो कि अपनी भव्यता और अद्भुत बनावट के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध हैं और देश के सबसे प्राचीनतम ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है तो आइए हम जानते हैं सूर्य भगवान को समर्पित कोणार्क सूर्य मंदिर की स्टोरी


यह मंदिर एक बेहद विशाल रथ के आकार में बना हुआ है इसलिए इसे भगवान का रथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है

कुणाल शब्द कौन और अर्थ से मिलकर बना है जहां कौन का अर्थ को ना किनारा एवं अर्थ का अर्थ सूर्य से है अर्थात सूर्य का कौन जिसे कोणार्क कहा जाता है इसी तर्ज पर इस मंदिर को कोणार्क सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है


अपनी अद्भुत खूबसूरती की वजह से कोणार्क सूर्य मंदिर को भारत के सात अजूबों में शामिल किया गया है इस प्राचीन सूर्य मंदिर का निर्माण 1250 ईस्वी में पूर्वी गंगा राजवंश के प्रसिद्ध सम्राट नरसिम्हा देव ने कराया था

कोणार्क सूर्य मंदिर को गंगा राजवंश के प्रसिद्ध शासक राजा नरसिम्हा देव ने 1243 से 1255 ईसवी के बीच में करीब 12 मजदूरों की सहायता से बनवाया था आपको बता दें कि इस विशाल मंदिर की निकासी करने और इसे सुंदर रूप देने में करीब 12 साल का लंबा समय लग गया था हालांकि इस मंदिर का निर्माण के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक कथा भी जुड़ी हुई है


एक प्राचीन धार्मिक कथा के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांबा ने एक बार नारद मुनि के साथ बेहद अभद्रता के साथ बुरा बर्ताव किया था जिसकी वजह से नारद जी ने कुष्ठ रोग होने का श्राप दे दिया था

इस शराब से बचने के लिए ऋषि कटक ने नारद मुनि के सूर्य देव की कठोर तपस्या आराधना करने की सलाह दी थी जिसके बाद श्री कृष्ण के पुत्र श्याम बने चंद्रभागा नदी के तट पर मित्र वन के पास करीब 12 सालों तक कष्ट निवारण देव सूर्य का कठोर कब किया था वही इसके बाद एक दिन जब सांबा चंद्रभागा नदी में स्नान कर रहे थे तभी उन्हें पानी में भगवान सूर्य देव की एक मूर्ति मिली जिसके बाद उन्होंने इस मूर्ति को इसी स्थान पर स्थापित कर दिया जहां पर आज या विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर बना हुआ है

इस तरह सांबा को सूर्य देव की कठोर आराधना करने के बाद शराब से मुक्ति मिली और उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया तभी से इस मंदिर का बेहद महत्वपूर्ण है इस मंदिर से करोड़ों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है यही वजह है कि इस मंदिर के दर्शन करने बहुत दूर-दूर से भक्त आते हैं


कोणार्क मंदिर की कुछ रोचक बातें

1 :- रथ के आकार का निर्माण कार्य कोणार्क मंदिर का निर्माण रक्त के आकार में किया गया है जिसके कुल 24 पहिए हैं रथ के एक पहिए का डायमीटर 10 फीट का है और रथ पर सात घोड़े भी हैं

2 :- सूर्य भगवान को समर्पित मंदिर में सूर्य भगवान की पूजा की जाती है मंदिर का आकार एक विशाल रथ की तरह है और यह मंदिर अपनी विशेष कलाकृतियों और मंदिर निर्माण में बहुत कीमती धातुओं के उपयोग के लिए जाना जाता है

3 :- मंदिर के रथ के पहिए धूप घड़ी का काम करते हैं और सही समय बताते हैं

4 :- निर्माण के पीछे का विज्ञान मंदिर के ऊपरी भाग पर एक भारी चुंबक लगाया गया है और मंदिर के हर दो पत्थरों पर लोहे के प्लेट भी लगी है चुंबक को इस कदर मंदिर में लगाया गया है कि वह हवा में ही फिरते रहे इस तरह का निर्माण कार्य भी लोगों को आकर्षण का केंद्र बना हुआ है बड़ी दूर से देखने आते हैं

5 :- किनारों पर किया गया निर्देश हर दिन सुबह सूरज की पहली किरण नाट्य मंदिर से होकर मंदिर के मध्य भाग पर आती है उपनिवेश के समय ब्रिटिश ओ ने चुंबकीय धातु हासिल करने के लिए चुंबक निकाल दिया था


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