घोड़े के पैरों में नाल क्यों लगाया जाता है


 क्या आपने कभी घोड़े को सड़क पर दौड़ते हुए ध्यान से देखा है उसके पैर के नीचे एक लोहे का नाल लगा हुआ होता है ऐसा केवल घोड़े में ही होता है क्योंकि घोड़े के पैर को पांव के अंगूठे में तथा चौड़े अग्रभाग में विभाजित किया गया है जबकि अन्य पशुओं में पंजे तथा नाखून होते हैं परंतु घोड़े के पैर की अंगुली के आसपास खून होता है क्षेत्र कोई संवेदना या दर्द महसूस नहीं कर सकता है क्योंकि यह मृतकों का बना होता है ऐसा ही एक उदाहरण हमारे नाखूनों का है जो कि मृतकों से बने हैं तथा इनको काटने पर हमें दर्द नहीं होता घोड़ा जब चल्या दौड़ रहा होता है तो उसकी एड़ी जमीन को नहीं छुट्टी है घोड़े के पैर के बीच का हिस्सा या केंद्र नरम होता है उसे राग कहा जाता है जब घोड़ा सवार या भारी बोझ उठाकर चलता है तो उसके खुर जमीन से टकराते हैं तब पुर का मुलायम हिस्सा भार को सहन न कर पाने की वजह से जमीन से टकराकर चोटिल होकर फूल जाता है इससे यह पशु लंगड़ा हो सकता है खुद को इस प्रकार चोट से बचाने के लिए घोड़े के नाल फूलों पर लगाए जाते हैं यह नाखूनों के मुलायम हिस्से की रक्षा करते हैं तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि घोड़ा अपने पैरों की चिंता किए बिना हवा जैसी तेज गति से दौड़ सके

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