कामयाबी
एक गुरु अपने शिष्य के अत्याधिक विकास से बहुत ही खुश थे उन्हें लगा कि अब शीशे का मार्गदर्शन करने की कोई जरूरत नहीं है इसलिए उस शिष्य को एक नदी किनारे बनी अपनी छोटी सी कुटिया में छोड़कर निकल पड़
रोजाना सुबह स्नान करने के बाद शिष्य शेर की खाल से बने अपने कपड़े को सुखाने के लिए टांग दिया करता था एक मात्र वस्तु थी जो उसके पास थी
1 दिन चूहे ने उस शेर की खाल को कुचल डाला यह देख कर इसे बहुत ही उदास हो गया वस्त्र ना होने के कारण और दूसरे वस्त्र मांगने गांव वालों के पास पहुंचा
अगले ही दिन चूहों ने दूसरे वस्त्र में भी छेद कर डाला चूहे से परेशान होकर उसने एक बिल्ली पा लिया अब उसे समस्या चूहों से तो नहीं थी लेकिन बिल्ली उसके लिए परेशानी का सबब बन गई उसे खाने के साथ-साथ बिल्ली के लिए दूध का इंतजाम करना पड़ता था
1 दिन उसे लगा कि मैं कब तक गांव वालों से मांगता रहूंगा क्यों ना मैं खुद ही एक गाय रख लूं जब उसे गायब मिल गया तो फिर उसे के लिए चारा मांगने की जरूरत पड़ी
उसे लगा की झोपड़ी में चारों ओर घात से इसका काम चल जाएगा लेकिन इसमें उसे सामने गाय को चलाने की समस्या खड़ी हो गई गाय को चरने के चक्कर में ध्यान के लिए पूरा वक्त नहीं मिल पा रहा था
इस लिए इस काम के लिए उसने आदमी रख लिया अब सवाल आया कि काम करने पर निगरानी की इसके लिए उस शिष्य ने एक महिला से शादी कर ली जो इसके सारे कामों को निगरानी करती और उसके काम में हाथ बताती आगे चलकर ऐसा वक्त आया जब वह गांव का सबसे धनी व्यक्ति बन गया कई सालों के बाद अचानक एक दिन गुरुजी उस गांव में पहुंचे सब कुछ बदला हुआ देखकर वे दंग रह गए
उन्होंने देखा कि जहां कभी कुटिया हुआ करती थी आज वहां एक आलीशान इमारत खड़ी है उन्होंने एक नौकर से पूछा क्या यह वही जगह नहीं है जहां कभी मेरा एक सिष्य रहा करता था
नौकर उन्हें कोई जवाब देता इससे पहले ही गुरु का वह शिष्य हाजिर हो गया गुरु ने उसे पूछा बस से आखिर यह सब क्या है इस पर शीश ने कहा आपको विश्वास नहीं हो रहा है ना लेकिन मेरे पास सिवाय उसके कोई दूसरा तरीका नहीं था की मैं शेर की खाल को हटा देता
इससे हमें यह सीख मिलता है कि छोटी जरूरत या बदलाव के आधार पर बड़े परिणाम मिलते हैं
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